- सीएमओ के नेतृत्व में बाढ़ पीडि़तों की सेवा में लगा है स्वास्थ्य महकमा
- जिले की 21 बाढ़ चौकियों की आशा कार्यकर्ताओं को मिला है विशेष प्रशिक्षण
- स्वास्थ्य विभाग की टीम अधिकारियों के नेतृत्व में कर रही हैं निरन्तर भ्रमण
संतकबीरनगर - जिले में घाघरा, राप्ती और कुआनों नदियों में बाढ़ को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से सतर्क है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में ज्वर तथा दस्त प्रबन्धन की जानकारियों से संवेदीकृत टीम सीएमओ डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह के नेतृत्व में बाढ़ पीडि़तों को निरन्तर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में लगी हुई है । बाढ़ चौकियों पर तैयार की गयी स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरी तरह से अलर्ट है। बाढ़ चौकियों के साथ कण्ट्रोल रुम की स्थापना भी कर दी गई है। जिले की 21 बाढ़ राहत चौकियों में स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गयी है।
सीएमओ डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह ने बताया कि जनपद के तीनों तहसील क्षेत्रों में बाढ़ क्षेत्र के गांवों में आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम नाव के जरिए भी गांवों में जा रही है । जिले की कुल 21 बाढ़ चौकियों पर चौकी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी समेत कुल 105 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गयी है। बाढ़ चौकियों पर सर्पदंश के त्वरित इलाज के लिए एंटी स्नेक वेनम रखा गया है। साथ ही ओआरएस के पैकेट भी रखे गए हैं। हर तहसील क्षेत्र में प्रशासन के द्वारा बनाई जाने वाली बाढ़ चौकियों के सापेक्ष टीम बना दी गई हैं। हर टीम में चिकित्सा अधिकारी व एएनएम के साथ ही अन्य स्टॉफ को रखा गया है। साथ ही बाढ़ संभावित क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ता को ज्वर प्रबन्धन व दस्त प्रबन्धन का प्रशिक्षण दिया गया है। मरीज को तात्कालिक राहत देने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं भी उनके पास हैं। इन क्षेत्रों में जहां पर जल जमाव है वहां पर पानी हटने के साथ ही ब्लीचिंग के छिड़काव के साथ ही एण्टी लार्वल दवाओं का छिड़काव भी किया जा रहा है ।
एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वीपी पाण्डेय और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा व जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह अपनी टीम के साथ निरन्तर इस क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं। उनकी टीम लोगों को जागरुक भी कर रही है कि बाढ़ जैसी स्थितियों से कैसे निपटा जाएगा। आशा संगिनी पुष्पा देवी बताती हैं कि जहां जहां भी गांवों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है वहां पर लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। नावों के जरिए पानी से घिरे गांवों में भी दवाओं का वितरण किया जा रहा है।
ज्वर व दस्त की दवा है आशा के पास : बाढ़ क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं को ज्वर और दस्त की प्राथमिक दवाएं दी गई हैं। विशेष रुप से प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता लक्षणों को देखकर त्वरित लाभ के लिए इन दवाओं को देंगी और इसके बाद अस्पताल जाने की सलाह देंगी।
किसी भी स्थिति में मरीज को न रोकें : जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने निर्देश दिया है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता पूरी तरह से सतर्क रहें। किसी भी स्थिति में अगर कोई मरीज दस्त या बुखार से पीडि़त हो तो उसे प्राथमिक दवा दिलाने के बाद तुरन्त एम्बुलेन्स बुलवाकर सरकारी चिकित्सालयों में ही भेजें। अगर मरीजों की संख्या बढ़ रही हो तो अपने क्षेत्र के अधीक्षक को तुरन्त फोन करके सूचना दें, ताकि वहां पर टीम भेजी जा सके।
बाढ़ क्षेत्र के गर्भवती का भी है डाटा : बाढ़ क्षेत्र में आने वाले गांवों की गर्भवती का एक डाटाबेस तैयार किया गया है। इस डाटा बेस में गर्भवती का नाम, पति का नाम, गर्भधारण की तिथि, प्रसव की संभावित तिथि, उनकी प्रसव पूर्व जांच कब कब हुई है, कौन कौन से टीके लगाए जा चुके हैं, इन सारी बातों का पूरा विवरण है। यह सूची गांव से सम्बन्धित ब्लॉक सीएचसी तथा एएनएम व सम्बन्धित गांव की आशा कार्यकर्ता को दिया गया है। साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि वह सूची के अनुसार गर्भवती की देखभाल करती रहें तथा बाढ़ की स्थिति में उन्हें निर्धारित आश्रय स्थल पर पहुंचाएं व उनको समय – समय पर टीका लगवाने के साथ ही उनकी चार प्रसव पूर्व जांच अवश्य करवाएं ।
बाढ़ के साथ ही महामारी से निबटने की भी व्यवस्था : जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर पी मौर्या (जो दैवीय आपदा / बाढ़ एवं संक्रामक रोग नियन्त्रण कक्ष के नोडल अधिकारी भी हैं ) बताते हैं कि बाढ़ के दौरान महामारी तथा जल जनित रोगों व महामारी से निबटने के लिए भी इन्तजाम किए गए हैं। चौकियों पर तैनात कर्मियों के पास जीवन रक्षक औषधियों के साथ ही विषरोधी इंजेक्शन, जल शुद्धिकरण के लिए क्लोरीन की गोलियां, ब्लीचिंग पाउडर, सामान्य बुखार की दवाएं भी रखी गयी हैं। इसके साथ ही प्राथमिक चिकित्सा किट भी रखी गयी है। सभी चौकियों के प्रभारियों को हर समय तैयार रहने के लिए निर्देश भी दिए गए हैं।