बाराबंकी - बाल दिवस पर भारतीय बालरोग एकेडमी (आई.ए.पी.) द्वारा उत्तर प्रदेश के 12 हाई रिस्क ज़िलो जहां 5 वर्ष तक के बच्चों में बाल मृत्यु दर बहुत अधिक है में से एक बाराबंकी जिले में बच्चों को बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक कुछ संसाधनों से युक्त “सुपरहीरो किट” निशुल्क वितरित की गयी। इसका उद्देश्य बच्चों व उनके अभिभावकों में बीमारी से बचने के तरीक़ों के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम हिंद आयुर्विज्ञान संस्थान के ऑडिटोरीयम में आयोजित किया गया।
उत्तर प्रदेश को प्राथमिकता देते हुए आई.ए.पी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रेमेश कुमार ने स्वयं केरल से बाराबंकी आ कर प्रतिभाग किया, उन्होंने बताया कि भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर को कम करने के लिए आई.ए.पी. प्रतिबद्ध है। भारत में ये दर 32 है और उत्तर प्रदेश में 43 है। नवजात शिशु से लेकर पांच वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य हेतु अनेक योजनायें आई.ए.पी. संचालित कर रही है। उत्तर प्रदेश के एडिशनल डी.जी.एम.ई. डॉ एन. सी. प्रजापति, जो खुद वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ हैं, ने चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सुपरहीरो किट के माध्यम से अभिवावकों को स्वच्छता और संचारी रोगों से बचाव का संदेश मिलेगा। आई.ए.पी. यू.पी. के अध्यक्ष डॉ संजय निरंजन ने बताया साबुन से हाथ धोने की आदत से दस्त से बचाव हो सकता है। डॉ पियाली भट्टाचार्य के अनुसार खाने के बर्तनों को जाली से ढकने से और घड़े के पीने के पानी को डोली से निकल कर पीने से, खाने और पानी को संक्रमित होने से बचा सकते हैं। सी.एम.ओ. डॉ ए.के. यादव ने कहा कि नाखून काटने और चप्पल पहनने से कृमि संक्रमण से बचाव होता है। डॉ उत्कर्ष बंसल के अनुसार मच्छर मारक क्रीम का प्रयोग कर के बच्चों को डेंगू, मलेरिया, जे.ई. व चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों से बचा सकते हैं। डॉ ए.के. सचान ने कहा की स्कूल बैग और टिफिन बॉक्स हमारी सब बच्चों की शिक्षा और पोषण प्रतिबद्धता का द्योतक है।
कार्यक्रम में जिले के यूनिसेफ, डब्लू.एच.ओ., एन.एच.एम. के अधिकारी, बालरोग विशेषज्ञ और अन्य चिकत्सक, अभिवावकों और नर्सिंग छात्रों ने भाग लिया।