इंसेफेलाइटिस प्रबन्धन व उपचार पर हुए प्रशिक्षित



  • आठ अलग-अलग बैच में प्रशिक्षित किए जा रहे जनपद के चिकित्सक
  • प्रथम दो बैच का प्रशिक्षण बुधवार को पूरा, शेष 24 तक हो जाएंगे

गोरखपुर - एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर नियंत्रण पाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग विविध प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में इंसेफेलाइटिस प्रबन्धन वउपचार के सम्बंध में जिले के सभी चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित कियाजा रहा है। यह प्रशिक्षण 24 दिसम्बर तक समाप्त हो जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार ने बताया कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का प्राथमिक उपचार सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर उपलब्ध है। वहां चिकित्सक व स्टाफभी दक्ष हैं। इंसेफेलाइटिस प्रबन्धन व उपचार के संबंध में जिले के सभी चिकित्सा अधिकारियों को प्रति वर्ष प्रशिक्षित भी किया जाता है। इसी क्रम में आठ अलग-अलग बैच में अस्पतालों के अधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी इस वर्ष भी प्रशिक्षित किये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एडी हेल्थ डॉ आईबी विश्वकर्मा की मौजूदगी में प्रथम दो बैच का प्रशिक्षण बुधवार को सम्पन्न हो गया। शेष 24 दिसम्बर तकप्रशिक्षित कर दिए जाएंगे।राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे जनजागरूकता में काफी मिलेगी। सभी को बताया गया है कि अगर तेज बुखार के साथ झटके भी आ रहे हैं और मरीज मानसिक तौर पर भी शिथिल हो रहा है तो यह इंसेफेलाइटिस का मामला हो सकता है। ऐसे मरीजों को 108 या 102 एम्बुलेंस से ही नजदीकी सीएचसी या पीएचसी ले जाना है। चिकित्सक वहां उपचार करेंगे। गंभीर स्थिति होने पर इंसेफेलाइटिस ट्रिटमेंट सेंटर (ईटीसी) में भर्ती कर लेंगे और मरीज के खून की सीरम जांच के लिए जिला स्तर पर स्थापित सेंटीनल लैब भेजेंगे। अगर मरीज की स्थिति ज्यादा खराब होगी तो उसे जिला अस्पताल में रेफर कर देंगे ।

डॉ दूबे ने बताया कि प्रशिक्षण में यह भी बताया जा रहा है कि एईएस के 36 फीसदी से ज्यादा मामले स्क्रबटाइफस से जुड़े हैं। इनकी दवाएं सभी अस्पतालों पर उपलब्ध हैं। अगर सीएचसी पीएचसी पर समय से मरीज पहुंच जाए तो इन दवाओं से ठीक होकर घर जा सकता है । लोगों के बीच यह भी संदेश देना है कि चूहा, मच्छर और छछूंदर से बचाव के उपाय किये जाएं तो इंसेफेलाइटिस की रोकथाम आसान होगी । प्रशिक्षण में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके चौधरी, जेई एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी सिंह, राज्य स्तरीय प्रशिक्षक डॉ हरिओम पांडेय, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुशील, डेटा मैनेजर दुर्गेश, पाथ संस्था के प्रतिनिधि डॉ राहुल कांबले व अभिनय  कुशवाहा विशेष सहयोग प्रदान कर रहे हैं। प्रशिक्षण के पहले दिन आईसीएमआर के प्रतिनिधि डॉ एके पांडेय, डॉ अमरेश सिंह, एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, डीसीएमओ डॉ अनिल सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह और उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल भी उपयोगी जानकारियां साझा कीं । यूनिसेफ और सीफार संस्था के प्रतिनिधियों ने भी संचार की महत्ता पर प्रकाश डाला ।

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को देनी है जानकारी : प्रशिक्षण के प्रतिभागी डॉ अरूण कुमार वर्मा ने बताया कि तकनीकी जानकारियों के साथ सामुदायिक संचार की जानकारी भी प्रशिक्षण में दी गई हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के जरिये लोगों के बीच यह संदेश प्रसारित करवाना है कि बुखार की स्थिति में नजदीकी अस्पताल ही पहुंचना है। स्व विवेक, मेडिकल स्टोर वाले या झोलाछाप की राय पर दवा नहीं लेना है।