लखनऊ - केंद्र सरकार ने मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 तय किया है | लक्ष्य को देखते हुए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं | इसी क्रम में क्षेत्रीय (रीजनल) कार्यालय , स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, अलीगंज में मलेरिया माइक्रोस्कोपी पर राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया | स्वयंसेवी संस्था पाथ-सीएचआरआई के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण में प्रदेश के हर जिले से एक-एक लैब टेक्नीशियन ने भाग लिया |
निदेशक - संचारी रोग डॉ.ए.के. सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मलेरिया रोग की समय से पहचान करना है, ताकि मरीजों को समय रहते बेहतरउपचार उपलब्ध कराया जा सके । प्रशिक्षण में मुख्य रूप से मलेरिया के प्रकार, परजीवी की पहचान, संक्रमण का स्तर और मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है । यही लैब टेक्नीशियन अबअपने-अपने जिले के लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षित करेंगे |
संयुक्त निदेशक - मलेरिया, डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि मलेरिया रोग की पहचान में माइक्रोस्कोपिक जाँच को गोल्ड स्टैण्डर्ड टेस्ट माना जाता है I इसी क्रम में आठ से 22 दिसम्बर तक पांच बैच में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कराया गया I उन्होंने कहा कि बुखार के सभी रोगियों की मलेरिया जाँच आवश्यक है I स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुँचने वाले बुखार के रोगियों की मलेरिया जाँच ब्लड स्लाइड बनाकर माइक्रोस्कोप द्वारा और फील्ड पर आर.डी.टी. किट और ब्लड स्लाइड दोनों से की जा सकती है I इस प्रक्षिशण के बाद सभी जिलों में स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत मलेरिया जांच की जा सकेगी । प्रक्षिशण में लैब में की गई जाँच रिपोर्ट को रिपोर्टिंग पोर्टल (आई.एच.आई.पी.पोर्टल) पर एंट्री करने के विषय में भी बताया गया I