क्षय रोग के बारे में विद्यार्थियों को किया जागरूक



  • लक्षण, बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से बताया

लखनऊ - लखनऊ मांटेसरी स्कूल में शुक्रवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला क्षय उन्मूलन इकाई ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया | इस दौरान विद्यार्थियों को क्षय रोग के लक्षण,बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया | कार्यक्रम का आयोजन जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आर.वी.सिंह के निर्देशन में हुआ |

इस मौके पर सदर अस्पताल स्थित डॉट सेंटर के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस)राजीव ने विद्यार्थियों को  बताया किक्षय रोग के प्रमुखलक्षण हैं- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आना, बुखार आना, बलगम में खून आना, रात में पसीना आना,  भूख न लगना और वजन में कमी आना ।

सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर टीबी की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है ।इसके साथ ही सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह 500 रुपए बैंकखाते में भेजे जाते हैं  ।  इसके अलावा क्षय रोगियों को शैक्षणिक व औद्योगिक  संस्थानों, राजनीतिक दलों, व्यापारी संगठनोंऔर व्यक्तिगत तौर पर गोद लेकर उनको पोषक सामग्री  और भावनात्मक  सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है। क्षय रोग की जांच के लिए प्रेरित करने और क्षय रोग की पुष्टि होने पर सरकार द्वारा प्रेरक को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है ।

एसटीएस ने कहा कि क्षय  उन्मूलन में आप लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं | यहाँ से जो भी जानकारी मिले उसे अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, पड़ोसियों, जान -पहचान वालों से जरूर साझा करें | क्षय रोग के लक्षण, जाँच और उपचार की सुविधा के बारे में भीलोगों को बतायेँ ताकि यदि किसी को लक्षण नजर आयें तो वह छिपायें नहीं बल्कि स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएँ | वरिष्ठ क्षय रोग प्रयोगशाला पर्यवेक्षक(एसटीएलएस)लोकेश कुमार वर्मा ने बताया कि नाखून और बालों को छोड़कर किसी भी अंग में क्षय रोग हो सकता है | पल्मोनरी यानि फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती  है जबकि अन्य किसी अंग की टीबी  संक्रामक नहीं होती है | क्षय रोग का पूरा इलाज करना बहुत जरूरी होता है| दवाओं का सेवन बीच में नहीं छोड़ना चाहिए | ऐसा करने से एमडीआर यानि मल्टी ड्रग  रजिस्टेंट टीबी होने की संभावना होती है और इलाज बहुत लंबा चलता है |

इस अवसर पर तीन छात्रों ने बताया कि उनके घर में सदस्य को काफी दिनों से खांसी आ रही है और व्यतिगत रूप से जांच की जानकारी ली कि वह घर के पास कहाँ जांच कराएं । इस अवसर पर विद्यार्थियों ने जानना चाहा कि नाखून और बाल में टीबी क्यों नहीं होती है ?  अगर दवा बीच में छोड़ देंगे तो क्या प्रभाव होगा ?

इस मौके पर टीबी एचवी राजेश, स्वयंसेवी संस्था वर्ल्ड विजन से अश्विनी, टीबी चैंपियन ज्योति, शिक्षक और  विद्यार्थी मौजूद रहे ।