स्कूली बच्चों को फाइलेरिया के प्रति किया जागरूक



  • फाइलेरिया नेटवर्क समूह के सदस्यों ने साझा किया अनुभव
  • बच्चों को मच्छरों से बचाव व दवा सेवन के बारे में भी बताया

कानपुर नगर - राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जागरूकता पर स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है | इसी के तहत कल्याणपुर ब्लॉक के ईश्वरी गंज गांव के प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को फाइलेरिया नेटवर्क समूह की सदस्य आकांक्षा ने बच्चों को फाइलेरिया (हाथी पाँव) से होने वाली दिव्यांगता  के बारे में जागरूक किया | उन्होंने अपने अनुभव साझा करने के  साथ ही इस रोग के  लक्षण, बचाव, उपचार, प्रबंधन आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी ।

आकांक्षा ने फ्लिप बुक के माध्यम से बच्चों को मच्छरों से बचाव  के तरीके बताए  तथा फुल आस्तीन के कपड़े पहनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि घर के आस-पास जलभराव जैसी समस्या है तो वहां पर  मोबिऑयल  डाल देने  से मच्छरों के  लार्वा ख़त्म हो  जाते हैं और मच्छर नहीं पनपते हैं। उन्होंने कहा कि  इस तरह से भी  गांव में मच्छरों  के प्रकोप को कम किया जा सकता है।

अनुभव साझा करते हुए आकांक्षा ने बताया कि  वह करीब पांच  साल से फाइलेरिया से ग्रसित हैं । फाइलेरिया प्रभावित अंग में दर्द भी रहता था  ।  समूह से जुड़ने से मुझे काफी आराम मिला है क्योंकि  स्तन की सही देखभाल और साफ-सफाई के बारे में विस्तार से बताया गया है | उन्होंने कहा कि  फाइलेरिया को मैने करीब से महसूस किया है। मुझे समूह से जो जानकारी मिली है उसे समाज के हर वर्ग  के लोगों को बताना मेरी जिम्मेदारी है। फाइलेरिया से बचाव की  दवा खिलाने के लिए राज्य स्तर पर दो चरणों में अभियान चलाकर फाइलेरिया प्रभावित सभी जिलों को आच्छादित किया जाता है | इसके तहत जिले में साल में एक बार चलने वाले अभियान के दौरान दवा का सेवन जरूर करें । हर किसी को यह समझना होगा कि दवा सेवन से हीं इस बीमारी का बचाव संभव है। सभी से अपील है कि दवा का सेवन जरूर करें।

विद्यालय के सहायक अध्यापक कमाल अहमद ने भी बच्चों को बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है । यह मच्छर गंदगी वाले स्थान पर पाये जाते हैं । इसके संक्रमण से लिम्फ़ेडोमा (हाथीपांव) और जननांगों (अंडकोष व स्तन) में सूजन हो जाती है । फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए जिले में साल में एक बार घर - घर जाकर डीईसी और एल्ब़ेडाजोल दवा खिलाई जाती है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार  व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को  इस दवा का सेवन करना चाहिए। फाइलेरिया  के लक्षण पता लगने में पांच से 15 साल तक लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया से बचाव की दवा सभी को खाना जरूरी होता है।उन्होने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि फाइलेरिया  मरीज भी अपने आस-पास के लोगों को जागरूक कर रहें हैं। कार्यक्रम में स्कूल के प्रधानाध्यापक जमील खान, अध्यापक अमित चौहान, जफर और इंद्रा सिंह सहित आशा बीनू उपस्थित रहीं  l