लखनऊ, 15 सितम्बर 2020 - पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हर दिन किसी न किसी गतिविधि का आयोजन किया जा रहा है | इसके तहत मंगलवार को बचपन दिवस का आयोजन किया गया साथ ही बाल सुपोषण उत्सव मनाया गया | वैसे तो बचपन दिवस महीने की पांच तारीख़ को मनाया जाता है लेकिन पहले सप्ताह में राजकीय शोक होने के कारण इसका आयोजन नहीं हो पाया था | इस दिवस को आयोजित करने का उद्देश्य ऊपरी आहार के महत्त्व के बारे में बच्चों की माताओं और उनके परिवार के सदस्यों को जागरूक करना है |
यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेन्द्र दुबे ने फोन पर दी | उन्होंने बताया -पोषण माह के पहले ही तय किया गया था कि बचपन दिवस को बाल सुपोषण उत्सव के साथ मनाया जाए। बाल सुपोषण उत्सव के दौरान अभिभावक जो खाना पकाकर लाएंगे वही बच्चों को खिलाया जाएगा। इसमें वह केंद्र से मिलने वाले पोषाहार का भी उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य यह भी है कि माताओं/अभिभावकों को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराया जाए जहां वह बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन बनाने, बच्चों को उसे खिलाने व भोजन की पौष्टिकता पर जानकारी ले सकें । केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये माताओं व अभिभावकों को ऊपरी आहार के महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया- कोविड से बचाव के सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है |
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नविता बताती हैं – आज हमने केंद्र पर 6 महीने से 6 वर्ष के बच्चों के लिए केंद्र पर सामूहिक भोज का आयोजन किया था | इसके तहत बच्चों की माताएं अपने घर से खाना बना कर लायी थीं | छोटे –छोटे समूहों में बिठाकर बच्चों को खाना खिलाया गया था | बच्चे वैसे तो अकेले में खाना नहीं खाते हैं लेकिन जब वह अपने बराबर के बच्चो के साथ बैठते हैं तो वह बड़े मन से खाना खाते हैं |
दो वर्षीया अधिकांश की माँ राधा का कहना है - उनका बच्चा घर पर कभी नहीं खाना खाता है उसके पीछे –पीछे भागना पड़ता है लेकिन केंद्र पर आज सभी बच्चों के साथ वह अपने आप खाना खा रहा है |
अल्लुपुर की आंगनवाडी कार्यकर्त्ता उर्मिला मौर्या ने बताया- हमने दो घरों में जाकर धात्री महिलाओं से मुलाकात की जिनके बच्चे छह माह से ऊपर के थे | एक बच्चे ने 28 अगस्त को 6 माह पूरा किया है | हमने उसकी माँ और परिवार के सदस्यों को बताया- जब बच्चा 6 माह का हो जाता है तब केवल माँ के दूध से उसका पेट नहीं भरता है | उसे स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है क्योंकि उसकी शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है | हमें बच्चे को मसली हुयी दाल, चावल, मसला हुआ कला, सूजी की खीर इत्यादि को दिन में कई बार देना चाहिये साथ में घी या तेल जरूर डालना चाहिए | सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिये | खाना बनाने व खिलाने से पहले हाथ जरूर धोने चाहिए | बच्चे को अलग बर्तन में खाना खिलाना चाहिए न कि अपने साथ |