गर्भवती व बच्चे का वजन समय-समय पर लेना जरूरी - वजन व लम्बाई से ही प्रथमदृष्टया होती है स्वास्थ्य की निगरानी



लखनऊ, 6 अक्टूबर 2020 - बच्चे देश का भविष्य होते हैं और उनका भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब वह  स्वस्थ होंगे | इसके लिए आवश्यक है कि गर्भावस्था से लेकर बच्चे के दो  वर्ष की आयु पूरी होने तक स्वास्थ्य  की अच्छी तरह से निगरानी की जाये | स्वास्थ्य  की निगरानी हम मोटे तौर पर वजन और लम्बाई की नाप लेकर करते हैं | इसलिए गर्भवस्था के दौरान माँ का वजन नियमित रूप से लेना चाहिए तथा प्रसव के बाद बच्चे का वजन | गर्भावस्था के दौरान माँ का वजन उसके  सामान्य वजन से 10-12 किलो ग्राम तक बढ़ना चाहिए यदि ऐसा नहीं है तो प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए | इसी तरह यदि बच्चा बीमार है तो उसका न तो वजन बढ़ेगा और न उसकी लम्बाई | इसके लिए आवश्यक है कि हमें नियमित रूप से बच्चे का वजन और लम्बाई लेनी चाहिए जिसके द्वारा हम यह जान सकें कि बच्चा स्वस्थ है या नहीं | यह बातें जिला कार्य्रकम अधिकारी (डीपीओ) अखिलेन्द्र दुबे ने सोमवार को विकास भवन के सभागार में  “संभव कार्यक्रम” के तहत आयोजित बैठक में कही | यह कार्यक्रम एचसीएल फाउंडेशन और यूनिसेफ  के सहयोग से आयोजित किया गया था |

डीपीओ ने कहा – इस वर्ष पोषण अभियान की थीम में अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों के  चिन्हांकन पर जोर था |  यह बच्चों के सही वजन और लम्बाई की नाप के आधार पर ही पता चल सकता है | उन्होंने  कहा – संभव कार्यक्रम (सिन्क्रोनाइज़्ड एक्शन फॉर मार्जिनलाईज्ड टू इम्प्रूव  बिहेवियर एंड वल्नरेबिलिटीज ) एक पायलट प्रोजेक्ट है, जो कि  शहरी क्षेत्र की  मलिन बस्तियों में यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और यूनिसेफ के सहयोग से संकटग्रस्त लोगों  के लिए स्वास्थ्य , आजीविका, सामाजिक सुरक्षा , बाल अधिकार तथा जेंडर से सम्बंधित सेवाएँ मुहैया  कराने के लिए जून माह से शुरू हुआ है |  इसमें सबन्धित विभागों का भी सहयोग लिया  जा रहा है |

इसके तहत एचसीएल फाउंडेशन की ओर से वजन मशीनों का वितरण किया गया | अलीगंज में 11, बक्शी का तालाब क्षेत्र में एक  और चिनहट की 44 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वजन मशीन का वितरण किया गया |

इस अवसर पर सम्बंधित ब्लाक की बाल विकास परियोजना अधिकारी, सुपरवाईजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एचसीएल के प्रतिनिधि विनीत और यूनिसेफ से अनीता उपस्थित थीं |