- पहली बार आइवेर्मेक्टिन दवा भी खिलाई जायेगी
- अभियान से जुड़े जिला स्तरीय प्रशिक्षणार्थियों को किया गया प्रशिक्षित
लखनऊ - फाइलेरिया से बचाव के लिए जनपद में 10 फरवरी से सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। दस दिवसीय विशेष अभियान के दौरान घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जायेगी। इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में शुक्रवार को जिला स्तरीय प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षित किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम-उत्तर प्रदेश के अपर निदेशक डॉ. वी. पी. सिंह ने कहा कि लखनऊ सहित 19 जनपदों में यह अभियान 10 फरवरी से चलाया जाएगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि फाइलेरिया से बचाव ही इसका सही उपचार है। इसलिए अभियान चलाकर जिलों में हर साल एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना है। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के तहत इस अभियान को चलाया जा रहा है। जनपद में पहली बार इस अभियान के तहत आइवर्मेक्टिन की दवा डाई इथाइल कार्बामजीन (डी.ई.सी.) एवं अल्बेंडाजोल के साथ दी जाएगी । आइवर्मेक्टिन की गोली ऊंचाई के हिसाब से दी जाएगी ।
इस अवसर पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. बिमल बैसवार ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होती है। इसके लक्षण पाँच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । इसलिए मच्छरों से बचें और जब आशा कार्यकर्ता दवा खिलाने के लिए आएं तो खुद भी खाएं और घर के सदस्यों और आस-पास के लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। अभियान स्वास्थ्य, पंचायती राज, शिक्षा, समाज कल्याण, आईसीडीएस, नगर विकास एवं सूचना विभाग के पारस्परिक सहयोग से चलाया जाएगा।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। अभियान से पहले जिले में इस रोग से ग्रसित लोगों की स्थिति जानने के लिए आशा द्वारा घर-घर सर्वेक्षण किया जा रहा है। जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के कीटाणु रहते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना आदि समस्याएँ हो सकती हैं लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए। इस अभियान में दवा एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से घर-घर जाकर खिलाई जाएगी, जो भी व्यक्ति दवा खाने से वंचित रह जाता है वह अपने पास के सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों व मलेरिया कार्यालय में जाकर दवा प्राप्त कर सकता है। हर व्यक्ति को साल में एक बार इस दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। अगर दो वर्ष तक इस दवा का सेवन कर लिया जाता है तो जीवन भर फाइलेरिया रोग से बच सकते हैं । यदि किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो वह जीवन भर इस रोग से ग्रसित रहता है। इस अवसर पर जिला सर्विलांस अधिकारी डा.निशांत निर्वाण, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.सोमनाथ, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सा अधीक्षक, विश्व स्वास्थ्य संगठन से डा.नित्यानंद और स्वयंसेवी संस्था पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) व सीफार के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
फाइलेरिया के बारे में जानें : फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है।
फाइलेरिया के लक्षण : पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं के स्तन में सूजन ।