‘मिशन शक्ति’ के तहत इस माह मानसिक स्वास्थ्य पर रहेगा जोर



- थीम- मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक मुद्दों से सुरक्षा व सपोर्ट
- आश्रय गृहों में रह रहीं महिलाओं व बालिकाओं को पहुंचाएंगे मदद
- कोविड-19 के कारण अपनों को खोने वालों को भी परामर्श सेवा

लखनऊ, 05 नवम्बर-2020 - प्रदेश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के लिए चलाये जा रहे ‘मिशन शक्ति’ को हर माह अलग-अलग थीम पर मनाने का निर्णय लिया गया है । इस माह की थीम- ‘मानसिक स्वास्थ्य तथा मनोसामाजिक मुद्दों से सुरक्षा और सपोर्ट’ तय की गयी है । महिला कल्याण विभाग द्वारा मिशन शक्ति के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के साथ संयुक्त कार्ययोजना बनाकर इसे चलाया जा रहा है ।

निदेशक महिला कल्याण व मिशन शक्ति के नोडल अधिकारी मनोज कुमार राय का कहना है मिशन शक्ति के मुख्य उद्देश्यों में महिलाओं और बालिकाओं को स्वावलंबी बनाना, उनमें सुरक्षित परिवेश की अनुभूति कराना और जनजागरूकता पैदा करना शामिल है । आत्म सुरक्षा की कला विकसित करने के लिए महिलाओं और बच्चों को प्रशिक्षित करना तथा उनके प्रति हिंसा करने वालों की पहचान उजागर करने के दृष्टिगत मिशन शक्ति के दूसरे चरण में मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक मुद्दों से सुरक्षा तथा सपोर्ट पर कार्य किया जाना तय किया गया है । इस माह के दौरान इसके तहत मुख्य रूप से चार स्तरों पर कार्य किया जाएगा, जैसे- मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सपोर्ट पर जागरूकता, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के जरूरतमंद व्यक्तियों की पहचान करना, सहायता, सेवा, संरक्षण व सुरक्षा सम्बन्धी निर्णय लेने की क्षमता में विकास करना और उच्च परामर्श के लिए रेफर करने का कार्य किया जाएगा ।  

मिशन शक्ति के तहत इस माह मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सपोर्ट पर जिनको सेवाएं दी जानी हैं उनका चिन्हांकन किया जा रहा है । इनमें आश्रय गृहों में रहने वाली महिलाएं व बच्चे शामिल हैं, चाहे वह किसी क़ानूनी वजह से या देखरेख व संरक्षण की आवश्यकता के चलते रह रहे हों या उनके खिलाफ किसी प्रकार का अपराध या हिंसा हुई हो । इसके अलावा पाक्सो एक्ट या यौन हिंसा में शामिल रहे बच्चे व महिलाएं तथा उनके परिवार और समस्त संस्थानों से घर वापस गए या जमानत पर घर गए बच्चों व महिलाओं और उनके परिवार को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर सपोर्ट दिया जाएगा । ऐसे परिवार या व्यक्ति जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपने प्रियजनों को खोया है, कोविड-19 प्रभावित व्यक्ति, बच्चे, महिलाएं या उनके परिवार को इसके तहत मदद पहुंचाई जायेगी । कोविड-19 के दौरान लैंगिक हिंसा से जीवित/संघर्षरत, व्यक्ति विशेष, बच्चे, महिलाएं तथा उनके परिवार को मदद पहुंचाई जायेगी । इसके साथ ही बाल श्रमिक, प्रवासी श्रमिक, महिलाएं, बच्चे और उनके परिवार के अलावा जिनको भी उक्त परामर्श सेवाओं की आवश्यकता होगी उनको मदद पहुंचाई जायेगी ।  

मदद को हाथ बढ़ाने की अपील : मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक करने के लिए नि:शुल्क सेवा देने के इच्छुक लोगों से मदद को हाथ बढाने की अपील भी की गयी है । निदेशक महिला कल्याण का कहना है कि मिशन शक्ति अभियान के तहत जिलों में भौतिक/ऑनलाइन माध्यम से ‘मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सपोर्ट’ सेवाएं दी जाएंगी । इसके लिए मनोवैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिक संस्थानों, संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, विशेषज्ञों, अनुभवी व्यक्तियों जो मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक सपोर्ट सेवाएं मुफ्त में प्रदान करने के इच्छुक हैं वह सम्बंधित जिले के प्रोबेशन अधिकारियों या जिला कार्यक्रम अधिकारियों से संपर्क कर इस मुहिम में सहयोग कर सकते हैं ।  

प्रमुख कार्यक्रम : ग्राम, ब्लाक व जनपद स्तर पर 16 नवम्बर को वयस्कों में मानसिक स्वास्थ्य और  मनोसामाजिक आवश्यकताएं, मुद्दे तथा सपोर्ट प्रणाली के तहत संध्या चौपाल, नुक्कड़ नाटक, फोक शो, वेबिनार व सेमिनार आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा । इसके अलावा ‘बेटियों से पहचान’ थीम पर 18 नवम्बर को जनजागरूकता कार्यक्रम ग्राम से लेकर जिला स्तर पर आयोजित होंगे । इसके तहत परिवारों और दुकानदारों को जागरूक किया जाएगा कि वह अपने घरों व दुकानों को परिवार की महिलाओं व बेटियों के नाम पर पहचान दें । अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर 20 नवम्बर को ग्राम से लेकर जिला स्तर पर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के नेतृत्व में बच्चों और किशोरों की सुरक्षा व मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक आवश्यकताओं, मुद्दों और सपोर्ट प्रणाली पर भौतिक शक्ति संवाद किया जाएगा । 23 नवम्बर को ग्राम/ब्लाक व जनपद स्तर पर बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी रोकथाम के दौरान मानसिक स्वास्थ्य व परामर्श से जुड़े मुद्दे पर प्रतियोगिताएं, प्रश्नोत्तरी, रैली, समूह चर्चा आदि आयोजित होंगे । 25 नवम्बर को ‘हक़ की बात जिलाधिकारी के साथ’ कार्यक्रम आयोजित होगा । इसके तहत यौन हिंसा, लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा तथा दहेज़ हिंसा आदि के बारे में संरक्षण, सुरक्षा तंत्र, सुझावों मदद के लिए दो घंटे के पारस्परिक संवाद का आयोजन किया जाएगा ।