- लीक से हटकर किये काम ने दिलाई पहचान
- समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाली महिलाओं की कहानी करेगी प्रेरक का काम
लखनऊ, 7 मार्च - 2021 - समाज में अपने बलबूते पर सकारात्मक बदलाव लाने वाली महिलाओं का मिशन शक्ति अभियान के तहत महिला कल्याण और बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने हौसलाअफजाई कर एक नई पहचान दी है । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर “अनंता” मेगा इवेंट के माध्यम से इन महिलाओं की प्रेरक कहानियों के व्यापक प्रचार-प्रसार से इनके सपनों को पंख मिल गए हैं । समाज की भलाई के प्रति जूनून से मिली नयी पहचान से गदगद महिलाओं ने विभाग के प्रति शुक्रिया अदा करते हुए भरोसा दिलाया है कि आगे भी उनकी यह पहल अनवरत जारी रहेगी ।
महिला कल्याण विभाग के निदेशक और मिशन शक्ति के नोडल अधिकारी मनोज कुमार राय का कहना है कि जिन्होंने महिलाओं और बच्चों के विकास, सुरक्षा व संरक्षण के लिए असाधारण कार्य किये हैं, वह सचमुच सम्मान के हकदार हैं । इसी को ध्यान में रखकर समाज में लीक से हटकर सकारात्मक बदलाव लाने वालों की पहचान की गयी है, जिनकी सफलता की कहानियों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि अन्य महिलाओं के लिए वह प्रेरक की भूमिका अदा कर सकें । इसी के तहत महिला दिवस पर मेगा इवेंट “अनंता” के माध्यम से टीवी, रेडियो, ऍफ़एम, कम्युनिटी रेडियो, टाक शो, गोष्ठियों, समाचार पत्रों के माध्यम से जन-जन तक उनकी प्रेरक कहानियों को पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है ।
बरेली की नीता अहिरवार ने पेश की मिसाल : महिला कल्याण विभाग के बरेली मंडल की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी/उप निदेशक नीता अहिरवार ने नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी निभाते हुए स्वैच्छिक संगठनों और उद्यमियों को मिशन से जोड़ने के साथ मिशन के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुंचाकर मिसाल कायम की है । इसका नतीजा रहा कि जनपद में मिशन शक्ति की अवधि के दौरान पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिला पेंशन योजना से लगभग 7000 नई महिलाओं और मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में करीब 8000 नए लाभार्थियों को जोड़ा जा सका । विद्यालय स्तर पर 250 मास्टर प्रशिक्षक तैयार कर करीब 25 हजार बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिलाया गया है जनपद में हुनर कार्यक्रम और हुनर की पाठशाला के नवप्रयोगों की भी खूब वाहवाही हुई है । उनके इन्हीं सकारात्मक बदलाव वाले कार्यों को देखते हुए विभाग आज महिला दिवस पर उनको सैल्यूट करता है ताकि अन्य लोग उनके कार्यों से प्रेरणा ले सकें ।
बाल विवाह के खिलाफ मुहिम से मिली पहचान : वाराणसी की संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने मिशन के दौरान 18 बाल विवाहों को रुकवाकर किशोरियों को नई जिन्दगी देने का काम किया है । उन्होंने जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत होने के साथ-साथ वन स्टाप सेंटर, बेटी पढ़ाओ - बेटी बचाओ योजना, उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष आदि के क्रियान्वयन में भी अहम् भूमिका निभाई । इसके अलावा जनपद के 193 बच्चों को स्पांसरशिप योजना से जोड़ने के लिए चिन्हित किया गया है । बड़ी संख्या में महिलाओं और किशोरियों तक पहुँच बनाने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसके माध्यम से उनकी समस्याओं को प्रशासन तक पहुँचाया ।
मिशन शक्ति को परवान चढ़ाया राजेश कुमार ने : मिशन शक्ति अभियान में महिलाओं ने ही नहीं बल्कि पुरुषों ने भी अहम् भूमिका निभाई है, इन्हीं में शामिल हैं- रामपुर के जिला कार्यक्रम अधिकारी (आईसीडीएस) राजेश कुमार । अभियान के शुरुआत से दैनिक कार्यक्रमों के साथ ही कई अभिनव पहल में उनकी अहम् भूमिका रही । ‘जनपद की कमान बेटियों के हाथ’ के तहत जिला से लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर 797 बेटियों को कार्यालय अध्यक्ष के रूप में नामित कर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी । गृहणी शक्ति, वीरता शक्ति, किसान शक्ति, स्वयं सहयता समूह शक्ति आदि की झांकियों को प्रदर्शित करते हुए रैली निकली गयी, जिसमें करीब 6000 महिलाएं शामिल हुईं । विकास भवन में फीडिंग रूम/शिशु गृह की स्थापना हुई । शक्ति संवाद के तहत फेसबुक के माध्यम से जिलाधिकारी से महिलाओं एवं बेटियों ने संवाद स्थापित किया । 35 महिला कैदियों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श के लिए विशेष सत्र आयोजित कराया । गणतंत्र दिवस पर विभिन्न स्थानों पर बालिकाओं द्वारा ध्वजारोहण कराया ।
रंग लायी पहल, राष्ट्रपति से मिला नारी शक्ति पुरस्कार : लखनऊ वन स्टाप सेंटर की केंद्र प्रबंधक अर्चना सिंह को शुरू से ही हिंसा पीड़ित महिलाओं की मदद को तत्पर रहने का एक जूनून था । पिछले 10 वर्षों से सामाजिक कार्यों में भागीदारी दे रहीं अर्चना की मेहनत का ही नतीजा रहा कि वन स्टाप सेंटर-लखनऊ को पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है । मिशन शक्ति अभियान के तहत करीब 478 महिलाओं के प्रकरणों की उन्होंने व्यक्तिगत निगरानी की और महिलाओं को जरूरी सुविधाएँ मुहैया करायीं । बिखराव के कगार पर पहुँच चुके करीब 270 परिवारों को खुद के प्रयास से एकजुट किया ।
संघर्षों से मिली ताकत से निशा कर रहीं दूसरों की मदद : महिला कल्याण विभाग की विधि सह परिवीक्षा अधिकारी निशा रावत की संघर्षों की कहानी किसी को भी झकझोर कर रख देने वाली है । समाज में लैंगिक उत्पीडन और रुढ़िवादी मान्यताओं की शिकार निशा ने खिलौने और मोमबत्तियां बनाकर अपनी पढाई की । मुश्किलों की इन्तहां उस वक्त हो गयी जब उनके पति ने चलती कार में जहर देकर मरने के लिए अकेला छोड़ दिया लेकिन सौभाग्य से वह बच गयीं । होश आने पर पता चला कि उनके पति ने महज 2000 रूपये के लिए उनके बच्चे को भी बेचने की कोशिश की । इसके बाद निशा ने हिंसा पीड़ित महिलाओं और बच्चों की मदद को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और साबित कर दिखाया एक अकेली महिला बगैर किसी की मदद के दो छोटे बच्चों को लेकर कैसे अपना वजूद साबित कर सकती है । मिशन शक्ति के दौरान उन्होंने 24 जरूरतमंद महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण योजना से जोड़ा और तीन महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का पुनीत कार्य किया ।
इन्हीं महिलाओं की तरह अपने-अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाने वाली बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार की मुख्य सेविका विजेंद्र कला, मैनपुरी की संरक्षण अधिकारी अलका मिश्रा, गाजियाबाद वन स्टाप सेंटर की मैनेजर निधि मलिक, अर्चना ग्रामोद्योग सामाजिक संस्था चिलकाना रोड, सहारनपुर की अध्यक्ष अर्चना कश्यप, मुजफ्फरनगर की सोबी सिद्दीकी और ज्योत्सना कुमारी, बागपत की दीपांजलि और लखनऊ की कामिनी श्रीवास्तव के मिशन शक्ति में किये गए प्रयासों को महिला कल्याण विभाग ने सराहा है ।