बाल कुष्ठ रोगियों के मिलने पर बरतें अतिरिक्त सतर्कता -डॉ गणेश



  • कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम की मासिक समीक्षा बैठक में कांटैक्ट सर्वे पर दिया गया जोर
  • 30 जनवरी से प्रस्तावित स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की तैयारियों पर भी चर्चा

गोरखपुर - जिले में जहां कहीं भी बाल कुष्ठ रोगी हैं या नये बाल कुष्ठ रोगी मिलते हैं वहां अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। ऐसे हॉट स्पॉट पर फोकस्ड लैप्रोसी कैम्पेन (एफएलसी) अवश्य चलाएं । उक्त बातें जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने कहीं। उन्होंने कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम सम्बन्धित जिला कुष्ठ रोग निवारण कार्यालय में आयोजित  मासिक समीक्षा बैठक को सम्बोधित करते हुए कांट्रैक्ट ट्रेसिंग पर विशेष जोर देने को कहा । आगामी 30 जनवरी से 13 फरवरी तक प्रस्तावित स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की तैयारियों से सम्बन्धित चर्चा  बैठक में की गयी ।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि जिले में अप्रैल से लेकर अब तक सात बाल कुष्ठ रोगी मिले हैं । यह सभी सात से तेरह वर्ष के आयुवर्ग में हैं । बाल कुष्ठ रोगियों का मिलना इस बात का संकेत है कि सम्बन्धित क्षेत्र में तीव्र संक्रमण हो रहा है । ऐसे स्थानों पर एफएलसी चलाने का प्राविधान है जिसके तहत शहरी क्षेत्र में 300 घरों में जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे गांव की स्क्रिनिंग की जाती है । दिव्यांग कुष्ठ रोगी मिलने पर भी एफएलसी चलाते हैं । इसके तहत सभी को कुष्ठ से बचाव की दवा भी दी जाती है। इसके अलावा अगर कहीं  सामान्य कुष्ठ रोगी मिलते हैं तो पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस (पीईपी) किया जाता है जिसके तहत कम से कम दस घरों का सर्वे करके नये मरीज ढूंढे जाते हैं और सभी को बचाव की दवा दी जाती है ।

इस मौके पर जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने बताया कि इस बार स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की थीम है, ‘‘आइये कुष्ठ से लड़ें और कुष्ठ को इतिहास बनाएं’’ । इस थीम को साकार करने के लिए वृहद तैयारियां रखनी हैं । सभी सीएचसी, स्कूल, ग्राम पंचायत आदि की सहभागिता इस कार्यक्रम में करवानी है और सभी को शपथ दिलानी है । समुदाय में यह संदेश देना है कि कुष्ठ रोग कोई अभिशाप नहीं है। यह एक बीमारी है जो शीघ्र पहचान और इलाज से ठीक हो जाती है । बीमारी के पहचान और इलाज में देरी करने पर यह स्थायी दिव्यांगता का रूप ले लेती है। इस मौके पर फिजियोथेरेपिस्ट आसिफ और कार्यक्रम से जुड़े विनय श्रीवास्तव, मधई सिंह, दिनेश, सरिता और रतनलाल समेत सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

232 मरीजों का चल रहा इलाज : डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि जिले में इस समय 232 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है । अगर शरीर पर कहीं भी चमड़े के रंग से हल्के रंग के सुन्न दाग धब्बे हों तो यह कुष्ठ हो सकता है । अगर यह लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करवा कर इलाज शुरू कराया जाए तो छह महीने की मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो सकते हैं। शरीर में दाग धब्बों की संख्या जब पांच या इससे कम होती है और नसों में कोई दिक्कत नहीं होती हैं तो ऐसे रोगी को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहा जाता है जिसका इलाज छह माह में ही हो जाता है । अगर शरीर पर दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक है और नसें भी प्रभावित हुई हों तो यह मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग होता है और इसका भी इलाज बारह महीने में हो पाता है।