समय से पहचान कर कुष्ठ का इलाज संभव, यह कोई अभिशाप नहीं है-सीएमओ



  • जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का शुभारम्भ
  • ‘‘आइये कुष्ठ से लड़ें और कुष्ठ को इतिहास बनायें’’ थीम के साथ जनजागरूकता की शपथ


गोरखपुर - कुष्ठ न कोई अभिशाप है और न ही पूर्व जन्मों का पाप। यह एक बीमारी है जिसकी समय से पहचान हो जाए तो इलाज संभव है । बीमारी की पहचान और इलाज में देरी से यह दिव्यांगता का रूप ले सकता है जिससे जीवन बोझ बन जाता है । उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का शुभारम्भ करते हुए सोमवार को कहीं । उन्होंने गोरखनाथ के राजेंद्रनगर स्थित बाबा राघवदास कुष्ठाश्रम में कुष्ठ मरीजों के बीच फल, दवाओं और अन्य आवश्यक सामग्रियों का वितरण भी किया। उन्होंने महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा भी की जिसमें सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखा । ‘‘आइये कुष्ठ से लड़ें और कुष्ठ को इतिहास बनायें’’ थीम के साथ जनपद के सभी स्वास्थ्य इकाइयों और सरकारी विभागों में जनजागरूकता की शपथ भी ली गयी । रोग से घृणा करें, रोगी से नहीं का संदेश भी दिया गया। स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान 13 फरवरी तक चलेगा।

सीएमओ ने बताया कि चमड़ी के रंग से हल्के रंग का सुन्न दाग धब्बा जिसमें पसीना न आता हो, कुष्ठ रोग हो सकता है । हाथ पैर के नसों में मोटापन, सूजन, झनझनाहट, तलवों में सुनापन, पूरी क्षमता से काम न कर पाना, चेहरा, शरीर व कान पर गांठ, हाथ, पैर और उंगुली में टेढ़ापन कुष्ठ रोग के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत आशा कार्यकर्ता और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) से सम्पर्क कर जांच व इलाज कराना चाहिए। पासी बेलिसाई (पीबी) कुष्ठ रोग होने पर मरीज छह महीने की दवा में ठीक हो जाता है जबकि मल्टी बेसिलाई(एमबी) कुष्ठ रोग होने पर साल भर तक दवा चलती है । कुष्ठ का सम्पूर्ण इलाज सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध है।शरीर में सुन्न दाग धब्बों की संख्या जब पांच या इससे कम होती है और नसों में कोई दिक्कत नहीं होती हैं तो ऐसे रोगी को पीबी कुष्ठ रोगी कहा जाता है जिसका इलाज छह माह में ही हो जाता है । अगर शरीर पर दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक है और नसें भी प्रभावित हुई हों तो यह मल्टी बेसिलाई एमबी कुष्ठ रोग होता है और इसका भी इलाज बारह महीने में हो जाता है।

डॉ दूबे ने बताया कि कुष्ठ रोग माइक्रो बैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है । यह अनुवांशिक रोग नहीं है और न ही पूर्व जन्म के पापों का फल, न कोई भूत-पिशाच वटोना - टोटका  । कुष्ठ रोगी से भेदभाव करने की बजाय उसे प्रेरित करें कि वह इलाज कराए । नया कुष्ठ रोगी मिलने पर आसपास के दस घरों में बचाव की दवा खिलाई जाती है । नया बाल कुष्ठ व दिव्यांग कुष्ठ रोगी मिलने पर शहरी क्षेत्र में 300 घरों में जबकि ग्रामीण क्षेत्र में पूरे गांव को बचाव की दवा खिलाने का प्रावधान है। जिला कुष्ठ रोग कार्यालय पर उप जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने कुष्ठ निवारण में योगदान की शपथ दिलाई । इसके अलावा सभी स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर डीएचईआईओ केएन बरनवाल , एनएमए महेंद्र चौहान, पवन कुमार श्रीवास्तव, फिजियोथेरेपिस्ट आसिफ के अलावा अवध नारायण, रवि श्रीवास्तव, गुड़िया पांडेय और संजय चौरसिया भी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।

मिलती हैं सुविधाएं : जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने बताया कि जिले में इस समय 232 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है । आशा कार्यकर्ता जब नया कुष्ठ रोगी खोजती हैं तो उन्हें 250 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन अगर यह रोगी दिव्यांग है तो मात्र 200 रुपये देने का प्रावधान है । कुष्ठ से दिव्यांग हुए रोगियों को 3000 रुपये प्रति माह पेंशन दिलाई जाती है । दिव्यांग कुष्ठ रोगियों की सर्जरी भी होती है और श्रम ह्रास के लिए 8000 रुपये अब इसका 12 हज़ार हो गया है कन्फर्म कर लीजिये भी दिये जाते हैं। पीबी कुष्ठ रोगी का इलाज पूरा हो जाने पर आशा कार्यकर्ता को 400 रुपये, जबकि एमबी कुष्ठ रोगी का इलाज पूरा होने पर आशा को 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है । जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव के पर्यवेक्षण में योजना से सभी पात्रों को लाभान्वित किया जा रहा है।