- पहले डोज में हार्मोनल बदलाव होने पर घबराने वाली महिलाओं का भी बदला व्यवहार
- दूसरे डोज के बाद हर तीन माह पर ले रही हैं इंजेक्शन
गोरखपुर - पाली ब्लॉक के कुसम्हा खुर्द गांव की संगीता (35) के तीन बच्चे हो गये लेकिन दंपति परिवार नियोजन के साधनों के प्रति उदासीन रहा । गांव की आशा कार्यकर्ता रीता ने उन्हें नियोजित परिवार के प्रति प्रेरित किया और बॉस्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी दी । संगीता को त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन पसंद आया । जनवरी 2020 में वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली गयीं जहां नर्स मेंटर संगीता ने उनकी स्क्रिनिंग की और आवश्यक जांच भी कराई। इंजेक्शन के लिए पात्र पाए जाने पर उन्हें पहला डोज लगाया गया। वह बताती हैं कि पहले डोज के बाद मासिक धर्म के दौरान एक हफ्ते तक ब्लीडिंग हुई। वह घबरा कर फिर से अस्पताल गईं जहां नर्स मेंटर ने उन्हें बताया कि यह हार्मोनल बदलाव की देन है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। एक हफ्ते में सब सामान्य हो गया और उन्होंने तीन महीने बाद दूसरा डोज लिया। अब तक वह कुल 13 डोज ले चुकी हैं और खुशहाल जीवन जी रही हैं ।
जिले में संगीता जैसी ढेर सारी महिलाएं त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन के बारे में सही जानकारी मिलने पर इसकी नियमित लाभार्थी बन चुकी हैं । पहला डोज लेने के बाद होने वाले हार्मोनल बदलाव पर घबराने वाली महिलाएं भी सही परामर्श मिलने पर दूसरे डोज के बाद हर तीन माह पर सेवाएं लेती हैं । गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की परिवार नियोजन काउंसलर विन्ध्यवासिनी बताती हैं कि यह इंजेक्शन बांह, कूल्हे या जांघ में लगाया जाता है । यह लगवाने के तुरंत बाद प्रभावी हो जाती है और निर्धारित तिथि पर लगवाने से इसकी प्रभावशीलता बनी रहती है । जिन महिलाओं को गर्भनिरोधक खाने में दिक्कत है वह इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। यह स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए उपयुक्त है । माहवारी की ऐंठन को कम करने के अलावा यह गर्भाशय व अंडाशय के कैंसर एवं एनीमिया से भी बचाता है। अगर बच्चों में तीन साल का अंतर रखना है तो इंजेक्शन का चार से पांच डोज ही पर्याप्त है । वह बताती हैं कि त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर सिर्फ पहली तिमाही में मासिक धर्म सम्बन्धित कुछ बदलाव आते हैं जो स्वतः ठीक हो जाते हैं।
पाली ब्लॉक की कुसम्हा खुर्द गांव की ही निवासी सरजीता (33) बताती हैं कि उनकी एक बेटी सात साल की है। वर्ष 2020 से ही वह अंतरा इंजेक्शन ले रही हैं। वह और उनके पति आगे बच्चा नहीं चाहते हैं । फिलहाल उन्होंने किसी स्थायी साधन के बारे में नहीं सोचा है और वह अंतरा से ही परिवार को नियोजित रखेंगी। इंजेक्शन की पहले डोज पर माहवारी में आए बदलाव से वह घबरा गई थीं लेकिन अब सब कुछ सामान्य है । गोला ब्लॉक के पड़ौली गांव की निवासी सलेहा (30) बताती हैं कि वर्ष 2010 में उनकी शादी हुई थी। परिवार नियोजन के साधनों के प्रति पति पत्नी की उदासीनता के कारण तीन बच्चे हुए और अब वह बच्चा नहीं चाहती थीं। गांव की आशा कार्यकर्ता से चर्चा करने पर उन्होंने सभी साधनों के बारे में जानकारी दी । सलेहा को अंतरा इंजेक्शन ठीक लगा । वह बताती हैं कि पहली डोज पर घबरा गई थीं लेकिन बाद में कोई दिक्कत नहीं हुई। चूंकि उनके तीनों बच्चे ऑपरेशन से हुए हैं इसलिए वह नसबंदी नहीं करवा सकती हैं। फिलहाल वह अंतरा के माध्यम से ही परिवार को नियोजित रखेंगी ।
100 रुपये देने का प्रावधान : एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार का कहना है कि एक अप्रैल 2022 से अंतरा इंजेक्शन लगवाने वाले लाभार्थी और आशा कार्यकर्ता को प्रति डोज 100 रुपये देने का प्रावधान है । सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा यह इंजेक्शन लगाया जाना है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार के दिशा निर्देशन में इस सेवा का प्रचार प्रसार हो रहा है। उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के डीएफपीएस इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान कर रहे हैं ।
रास आ रही अंतरा :
वर्ष लाभार्थियों की संख्या
2017-18 603
2018-19 1710
2019-20 7950
2020-21 7877
2021-22 17898
2022-23 22054 (दिसम्बर 2022 तक)
यह भी जानना अहम :
• प्रसव के छह सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर, गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर यह इंजेक्शन अपना सकते हैं।
• उच्च रक्तचाप, अकारण योनि से रक्तस्राव, स्ट्रोक, मधुमेह, स्तन कैंसर या लीवर की बीमारी की स्थिति में इसे नहीं अपनाना है।
• त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही अपनाना है।
• इससे कई बार मासिक धर्म में बदलाव होता है जो स्वाभाविक है और यह किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं है।
• इंजेक्शन वाली जगह पर मालिश या सिंकाई नहीं करनी है।