फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए विद्यार्थियों को किया गया जागरूक



लखनऊ - राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 से 27 फरवरी तक  सामूहिक दवा सेवन (आईडीए) राउंड  चलाया जाएगा  जिसके तहत जनपदवासियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जाएगा। इसी क्रम में  स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल(पीसीआई) के सहयोग से क्रिश्चियन कॉलेज के एनएसएस और एनसीसी के कैडेट्स के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ।

इस अवसर पर जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव ने फाइलेरिया बीमारी की जानकारी देते हुए बताया कि इसे हाथी पांव भी कहा जाता है। यह मच्छर के काटने से होती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। अगर किसी को यह बीमारी हो गई तो वह ठीक नहीं होती है। इस बीमारी का सिर्फ प्रबंधन किया जाता है। वहीं देख रेख के अभाव में व्यक्ति विकलांग भी हो सकता है। फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन ही इस बीमारी का इलाज है। सरकार द्वारा अभियान चलाकर साल में एक बार सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। आप सभी लोग इस दवा का सेवन जरूर करें और अन्य लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें।

डा. रितु ने कहा कि आईडीए के तहत एल्बेंडाजोल, डाईइथाइल कार्बामजीन (डीईसी) और आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाएगी लगातार दो साल तक साल में एक बार इन दवाओं के सेवन से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है। यह तीनों दवाएं दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को खानी हैं। एक से दो साल की आयु के बच्चों को पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर यह दवाएं खिलाएंगे।

उन्होंने बताया कि जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी होते हैं उनमें दवा खाने के बाद चक्कर आना, जी मितलाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन घबराना नहीं हैं। कुछ समय बाद ठीक हो जायगा। इसके बाद भी अगर कोई दिक्कत लगती है तो अपने क्षेत्र की रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्यकर्मी या स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सभी लोगों से अपील की कि वे आगे आयें और फ़ाईलेरिया उन्मूलन में अपना सहयोग प्रदान करें।

इस मौके पर मलेरिया इन्स्पेक्टर संजय यादव, पीसीआई के विकास द्विवेदी, नीतेश और शिक्षक उपस्थित रहे।