- फाइलेरिया नेटवर्क के सदयों ने साझा किये अपने अनुभव
- कहा- जो गलती हमने की वह आप न करें और दवा का सेवन करें
लखनऊ - फाइलेरिया से बचाव की दवा सेवन न करने का नतीजा है कि आज मैं फाइलेरिया से ग्रसित हूँ । मेरी बात मानिए- आप इसे नजरंदाज न करें। आशा कार्यकर्ता जब घर पर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने आयें तो उसका सेवन जरूर करें । यह बातें फाइलेरिया रोगी नेटवर्क की सदस्य शीलावती ने मंगलवार को ईंट भठ्ठे पर काम करने वाले मजदूरों को बतायीं। मोहनलालगंज ब्लॉक के रहीम खेड़ा गाँव में ईंट भठ्ठे पर काम करने वाले मजदूरों के लिए आशा कार्यकर्ता रविंदरी ने सामुदायिक बैठक आयोजित की। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया को हाथी पाँव भी कहते हैं क्योंकि पीड़ित व्यक्ति का पैर हाथी के पैर के समान हो जाता है। पिछले 15 साल से उनका दायाँ पाँव फाइलेरिया से प्रभावित है।
फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें क्योंकि इससे दवा खाकर ही बचा जा सकता है। यदि किसी को एक बार यह बीमारी हो गई तो वह ठीक नहीं होती है और यदि लापरवाही बरती तो व्यक्ति दिव्यांग तक हो सकता है।
इस मौके पर आशा कायकर्ता ने बताया कि 10 फरवरी से लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना है।
आशा कार्यकर्ता जब दवा का सेवन कराने आयें तो सेवन जरूर करें और इस बात का ध्यान रखें कि खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है। एक बात और, हो सकता है कि दवा खाने के बाद जी मितलाना, चक्कर आना या उल्टी हो लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। यह अपने आप ही ठीक हो जाएगा। ऐसा व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने के कारण होता है। ज्यादा दिक्कत लगे तो घर के पास के स्वास्थ्य केंद्र या आशा कार्यकर्ता या रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटीम) से संपर्क करें।
इस मौके पर स्वयं सेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) की प्रतिनिधि भी उपस्थित रहीं।