फाइलेरिया रोग से बचाव को सभी पात्र जरूर खाएं दवा: सीएमओ



  • 10 फरवरी से 27 फरवरी तक चलाया जाएगा अभियान
  • डोर टू डोर जाकर खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा
  • साल में एक बार और लगातार 5 साल दवा खाने से नहीं होगा फाइलेरिया रोग

बाराबंकी  -  फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। इस रोग के उन्मूलन के  लिए फाइलेरिया प्रभावित जिलों में इस बार ट्रिपल ड्रग थैरेपी कार्यक्रम 10 से 27 फरवरी तक संचालित किया जायेगा। इस दौरान लोगों को उनके आयु एवं शारीरिक लम्बाई के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवा  एल्बेण्डाजॉल, डीईसी एवं आइवरमेक्टिन का सेवन कराया जायेगा। यह बातें सीएमओ डा अवधेश यादव ने फाइलेरिया सवेंदीकरण कार्यशाला के दौरान आसीएच सभागार में कहीं। उन्होंने बताया सरकार की ओर फाइलेरिया उन्मूलन का  लक्ष्य वर्ष 2030 रखा गया है।

सीएमओ ने आगे बताया जनपद में अभियान में बेसिक शिक्षा विभाग, ग्राम विकास पंचायती राज विभाग, सूचना विभाग, आईसीडीएस, स्वंय सहायता समूह, नगर विकास विभाग सहित अन्य विभाग के सहयोग से अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया जानलेवा तो नही है लेकिन जीवन भर विकलांगता के मामले में विश्व में दूसरा सबसे बड़ा कारण है। साल में एक बार और लगातार पांच साल  फाइलेरिया रोधी दवाओं के सेवन से हमेशा के लिए इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके लिए जनपद में प्रत्येक वर्ष अभियान चलाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल डॉ डीके श्रीवास्तव ने बताया इस बार अभियान 10 फरवरी से 27 फरवरी तक चलाया जाएगा। अभियान में 38 लाख 29 हजार 892 लोगों को 3064 स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर अपने सामने दवा खिलाएंगे। उन्होंने बताया डीईसी, एल्बेण्डाज़ोल व आइवर्मेक्टीन  की दवा लोगों के उम्र व लंबाई के अनुसार खिलाई जाएगी । इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर लंबाई नापने का टूल्स भी दिया गया है। उन्होंने बताया  यह दवा 02 वर्ष से छोटे बच्चो, गर्भवती महिलाओ, गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्तियो एवं अत्यंत वृद्ध व्यक्तियो को  नही खाना है।  साथ ही दवा खाली पेट नही खानी है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से माइक्रोप्लान तैयार किया गया है।

स्वास्थ्य कर्मी सामने खिलाएंगे दवा : जिला मलेरिया अधिकारी अवीनाश चंद्र ने बताया कि  अभियान में तीन प्रकार की दवाओं को शामिल किया गया है। इनमें से कुछ दवाओं की खुराक व्यक्ति की उम्र और लंबाई के अनुसार तय होती हैं। इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को लंबाई नापने के लिए टूल्स भी दिया गया है। जिसका प्रयोग कर वह मौके पर समझ सकेंगे कि किस व्यक्ति को दवाओं की कितनी मात्रा देनी है । इसके लिए सभी को दक्ष किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों को सख्त निर्देश दिये गए हैं कि किसी भी व्यक्ति को दवा घर ले जाने के लिए नहीं देना है बल्कि सभी को दवा अपने सामने ही खिलानी है ताकि सभी को दवाओं की सही खुराक मिल सके।

फाइलेरिया के लक्षण : इस रोग के कारण शरीर के अंगों में सूजन आने लगती है। इसमें अंडकोष में स्थायी सूजन जिसे हाइड्रोसिल व पैरों में स्थायी सूजन जिसे हाथी पांव कहते हैं। फाइलेरिया का पता लगाने के लिए रात में ब्लड टेस्ट किया जाता है।

ऐसे फैलता है फायलेरिया : फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को जब मच्छर काटता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। यह संक्रमित मच्छर आगे जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी फाइलेरिया से संक्रमित कर देता है। इसके लक्षण 5 से 15 साल बाद प्रकट होते हैं। मच्छरों से बचाव के लिए घर के अंदर व आस-पास साफ सफाई रखें , पानी न जमा होने दें और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें । साथ ही मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बांह के कपड़े पहने।

इस  मौके पर अपर मुख्य चिकिताधिकारी डा केएनएम त्रिपाठी, डीएमओ अविनाश चंद्र, पीसीआई के डीएमसी ध्रुव मिश्रा, पाथ के डीसी अखिलेश कुमार, एसएमसी धर्मवीर सहित आदि अधिकारी एवं कमचारी मौजूद रहें।