जिले में विशेष टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू



  • प्रथम चरण में टीकाकरण से आच्छादित हुए 41192 बच्चे
  • आशा और एएनएम से सम्पर्क कर बच्चों को लगवाएं टीका

कानपुर नगर  - नौ माह से लेकर पांच साल तक के छूटे बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव को लेकर तीन माह का अभियान चलाया जा रहा है। इसका प्रथम चरण नौ से 20 जनवरी तक आयोजित किया गया था। सोमवार को विशेष टीकाकरण पखवाड़े के द्वितीय चरण की शुरुआत हो गई जो 24 फरवरी तक चलेगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि बच्चों के जन्म से पांच वर्ष की आयु तक सात बार नियमित टीकाकरण आवश्यक है । यह टीके बारह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं । अगर किसी बच्चे का टीकाकरण छूट गया है तो उसके अभिभावक आशा कार्यकर्ता और एएनएम से सम्पर्क कर छूटा हुआ टीका लगवा सकते हैं । इसी उद्देश्य से 13 से 24 फरवरी तक विशेष टीकाकरण पखवाड़ा चल रहा है । सीएमओ ने बताया कि अभियान का प्रथम चरण में 41192 बच्चों को आच्छादित किया गया| इस अभियान का उद्देश्य बच्चों को शत-प्रतिशत नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है|    

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एके कन्नौजिया ने बताया कि शिशु के जन्म पर बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, ओपीवी, छठे हफ्ते (सवा महीने) पर बीओपीवी-1, पेंटावालेंट-1, एफएलपीवी-1, रोटा-1, पीसीवी-1, दसवां सप्ताह बीओपीवी-2, पेंटवालेंट-2 और रोटा-2, चौदहवें सप्ताह पर बीओपीवी-3, पेंटावालेंट-3, एफएलपीवी-2, रोटा-3 और पीसीवी-2, नौ से 12वें माह पर एमआर-1, जेई-1, पीसीवी-बी, विटामिन-ए की पहला खुराक, इसके बाद 16 से 24 माह पर एमआर-2, जेई -2, डीपीटी-बी 1, बीओपीवी-बी और विटामिन-ए की दूसरी खुराक और 5 से 6 वर्ष पर डीपीटी-बी 2 का टीका लगता है|

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जसबीर सिंह ने बताया कि यह अभियान तीन चरणों में चलेगा जिसका प्रथम चरण 9 से 20 जनवरी तक चलाया गया| दूसरा चरण 13 फरवरी से शुरू होकर 24 फरवरी तक चलेगा| अभियान का तीसरा और आखिरी चरण 13 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा| जनपद के समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सभी शून्य से पाँच वर्ष के बच्चों को सूचीबद्ध कर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनकी टीकाकरण की स्थिति का आंकलन करते हुये छूटे हुए चिन्हित बच्चों को ई-कवच पोर्टल से जनरेटेड ड्यू लिस्ट की सूची के अनुसार लाभार्थियों को एएनएम व आशा कार्यकर्ता सत्रों पर टीकाकरण कराने में सहयोग कर रहीं है| साथ ही बच्चों को छूटे हुये टीकों से आच्छादित करते हुये टीकों की सूचना ई कवच पोर्टल पर अपलोड का कार्य कर रहीं है|

डॉ सिंह ने बताया कि बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों व संक्रमण से असर तेजी से उनके शरीर पर होता है और उनके अंगों को प्रभावित करता है| बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटावायरस वैक्सीन, इन्फ्लूएंजा व न्यूमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है| खसरा एक जानलेवा रोग है, जो कि वायरस से फैलता है| बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता के साथ बच्चे की जान को खतरा हो सकती है| रूबेला भी खसरा रोग जैसे ही होते हैं| गर्भवस्था के शुरू में ही सक्रंमित होने से महिला को कन्जेनिटल रूबैला सिन्ड्रोम से भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है| इसके लिए खसरा एवं रूबेला का टीका सुरक्षित है इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं|