टीकाकरण नीति में बदलाव के कदम का स्वागत, हालांकि आगे कई चुनौतियां भी हैं : जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ पूनम मुतरेजा



  • पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने प्रधानमंत्री द्वारा 7 जून, 2021 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में घोषित की गई टीकाकरण नीति में बदलाव का स्वागत किया

दिल्ली (न्यूज़ डेस्क ) -  प्रधानमंत्री ने हाल ही में घोषणा की, कि 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए 21 जून से कोरोना वैक्सीन निःशुल्क लगाई जाएगी । टीकाकरण की नीति में ये संशोधन भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अनुरूप होने के साथ ही जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझावों और दूसरे देशों की नीतियों के अनुरूप है। टीकाकरण नीति में लाया गया ये बदलाव, ना केवल वैक्सीन खरीद के लिए राज्यों और केंद्र के बीच आपसी होड़ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा बल्कि इससे राज्य वैक्सीन वितरण पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे ताकि जल्द से जल्द अधिकतम कवरेज सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही, चूंकि राज्यों द्वारा टीकों के लिए निकाले गए ग्लोबल टेंडर से भी कुछ खास हासिल नहीं हो सका है, टीकाकरण नीति में बदलाव से ये सुनिश्चित होगा कि टीकों की खरीद की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की रहेगी, जो टीकों की थोक आपूर्ति के लिए भारतीय और विदेशी वैक्सीन निर्माताओं के साथ बातचीत करने के लिए बेहतर स्थिति में है।
 
यूके की तरह भारत को भी हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए 60% वैक्सीन कवरेज तक पहुंचने की जरूरत है। यह देखते हुए कि भारत में लगातार COVID-19 संक्रमण के सबसे अधिक मामले और मौतें दर्ज हो रही हैं, टीकाकरण को प्राथमिकता देने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।

जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ और पीएफआई की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा का कहना है, ’’प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद वैक्सीन की खरीद में तेजी आने की उम्मीद है। इस बीच को-विन एप पर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन में आने वाली समस्यों का समाधान किया जाना चाहिए ताकि जब बढ़ी हुई  मात्रा में वैक्सीन खरीदी जा चुकी हो, तब वो लोगों को भी पर्याप्त रूप से उपलब्ध हो सके। को-विन पोर्टल के माध्यम से वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करना एक मुश्किल प्रक्रियाहै। विशेष रूप से गांवों की महिलाओं और बुजुर्गों के लिए जिनकी टेक्नोलॉजी तक पहुंच काफी सीमित है। जिला एवं ब्लॉक स्तर तक टीकाकरण अभियान आयोजित करके और वैक्सीन के लिए इच्छुक लोगों के पंजीकरण के बारे में फ्रंटलाइन वर्कर्स को सशक्त बनाकर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि देश भर में टीकाकरण जल्दी और समान रूप से शुरू हो।“
 
अपने संबोधन में प्रधान मंत्री ने ऐसे कई प्रचलित मिथक और भ्रांतियों का भी जिक्र किया, जिनकी वजह से एक बड़ी जनसंख्या में वैक्सीन को लेकर कई संशय हैं। ऐसे में, जब टीकाकरण का कवरेज 4 प्रतिशत से भी कम है, हमें  सामूहिक टीकाकरण पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ एक मजबूत व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति की भी आवश्यकता है जो देश भर में वैक्सीन को लेकर उठी शंकाओं और विरोध को दूर सके। एक ऐसे गहन और सतत अभियान के बिना, जो स्थानीय भावनाओं और संस्कृति के ताने-बाने से जुड़ा हुआ हो, वैक्सीनेशन में बढ़ोतरी संभव नहीं दिखती। इसके अलावा, कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) पर जोर भी जारी रखा जाना चाहिए, विशेष रूप से तब, जबकि देश भर के राज्यों में लॉकडाउन संबंधित प्रतिबंधों को घटाने पर विचार किया जा रहा है। इन अभियानों को COVID-19 प्रोटोकॉल पर ध्यान-केंद्रित करना चाहिए जिसमें फेसमास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और व्यक्तिगत स्वच्छता शामिल है। आशा कार्यकर्ता और स्थानीय समुदाय के नेता भी लोगों की आशंकाओं को दूर करके उनमें वैक्सीन के प्रति शंका और झिझक कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
 
वैक्सीनेशन के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लेना शंकाओं और झिझक को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, हमें सावधान रहना होगा कि टीकाकरण के लिए प्रलोभन नहीं दें, जैसा कि देश के कई हिस्सों से जानकारी मिली है। इससे लोगों में भय बढ़ सकता है और नकारात्मक प्रभाव पड़ने की भी संभावना है। टीकाकरण के लिए इंसेंटिव वहां दिया जा सकता है जहां इसका फायदा व्यक्तिगत न होकर समुदाय के लिए हो। जैसे कि संपूर्ण टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्र में स्थानीय स्कूलों को फिर से खोलना या फिर वहां की आंगनवाड़ियों में पका हुआ खाना उपलब्ध कराना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

पूनम मुतरेजा आगे कहती हैं कि “शीघ्र टीकाकरण के साथ-साथ निरंतर कोविड उपयुक्त व्यवहार की पालना,  मुफ्त और रियायती टेस्टिंग एवं उपचार ही हमारे देश के लिए COVID-19 महामारी से लड़ने का एकमात्र तरीका है। ऐसे समय में जब भविष्य में कई चुनौतियां हैं, टीकाकरण नीति में  बदलाव सही दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।“