“आत्मनिर्भरता सप्ताह” के अंतर्गत विविध प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ



लखनऊ - जन शिक्षण संस्थान, लखनऊ द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में “आत्मनिर्भरता सप्ताह” के अंतर्गत विविध प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुभारंभ आज सरस्वती शिशु मंदिर, टिकैत राय तालाब शाखा, लखनऊ में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, विद्यार्थियों और महिलाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना, साथ ही समाज में हिंदी भाषा के संवर्धन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना था।

इस अवसर पर अनिल कुमार श्रीवास्तव, निदेशक जन शिक्षण संस्थान एवं संयोजक आत्मनिर्भर भारत अभियान, ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य तभी साकार होगा जब हर नागरिक शिक्षा, कौशल, भाषा और संस्कृति के माध्यम से स्वयं को सशक्त बनाएगा। उन्होंने जन शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को समाज के विकास में अत्यंत उपयोगी बताया।

डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह, निदेशक इग्नू क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ एवं सह-संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अवध प्रांत, ने कहा कि हिंदी हमारी सांस्कृतिक अस्मिता की आत्मा है और इसके संवर्धन के बिना राष्ट्रीय विकास अधूरा है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए जीवनशैली में पर्यावरण हितैषी आदतें अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में के.बी. पंत, जिला संयोजक, डॉ. गुरु मिलन सिंह, प्रबंधक, तथा राजेन्द्र प्रसाद, अध्यक्ष, सरस्वती शिशु मंदिर, भी उपस्थित रहे और उन्होंने आत्मनिर्भरता, भाषा संरक्षण एवं पर्यावरण के महत्व पर अपने विचार साझा किए।

इसके साथ ही हिंदी पखवाड़े के अवसर पर हिंदी संवर्धन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विशाल हस्ताक्षर अभियान भी आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, शिक्षकों, समाजसेवियों और अभिभावकों ने भाग लेकर हिंदी के प्रति सम्मान और पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

विशेष रूप से इस अवसर पर क्षेत्र के पार्षद अनूप कमल, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अंजनी कुमार श्रीवास्तव, तथा विद्यालय के शिक्षकगण भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस पहल की सराहना की और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण, मातृभाषा के संवर्धन तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने का संकल्प लिया।

यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण, हिंदी भाषा के प्रसार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में समाज को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायी कदम सिद्ध हुआ।