औरैया - एचआईवी एडस जानलेवा बीमारी है लेकिन जागरूकता ही एड्स से बचाव का उपाय है। एड्स का कोई इलाज नहीं है लेकिन यदि सावधानी बरती जाए तो एड्स से बचाव किया जा सकता है। एड्स रोगी को छूने या उनके साथ खाने-पीने से नहीं फैलती। एड्स रोगी को सम्मान से जीने का पूरा अधिकार है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संत कुमार बताते है कि एचआईवी एड्स एक ऐसी बीमारी है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को ख़त्म कर देता है, ऐसे में मरीज को सावधानी न बरतने पर कोई भी बीमारी आसानी से हो जाती है| एड्स का कोई इलाज नहीं है लेकिन यदि सावधानी बरती जाए तो एड्स से बचाव किया जा सकता है। साथ ही एड्स पीड़ित मरीज समय से इलाज लेते रहें तो वह सामान्य जीवन भी जी सकता है।उन्होंने बताया कि एड्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है। हर गर्भवती महिला की जांचों के साथ उनकी एचआईवी की भी जांच होती है। जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी पर भी जांचें निशुल्क हो रही है।
जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने बताया कि एचआईवी एड्स असुरक्षित यौन संबंध, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की गई सुई का दोबारा इस्तेमाल, एचआईवी संक्रमित के रक्त, वीर्य के द्वारा, स्तनपान के द्वारा फैलता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि एचआईवी संक्रमित मां नियमित रुप से दवाओं का सेवन करें तो उसके बच्चे को एचआईवी से बचाया सकता है। उन्होंने बताया की वर्ष 2019 में 35 एड्स मरीज़ , वर्ष 2020 में 28 मरीज , 2021 में 23 और वर्ष 2022 में अब तक 22 मरीज मिलें हैं।
यह भी जानें : एचआईवी एड्स पर जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है| इस वर्ष की थीम ‘समानता’ रखी गई है। इसका उद्देश्य है कि एचआईवी संक्रमित लोगों से भेदभाव न करते हुए उन्हें समान अवसर और बराबरी दिया जाना है।
एचआईवी से बचाव के उपाय :
• जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध न रखें
• यौन संबंध बनाते समय कंडोम आदि का प्रयोग
• मादक औषधियों के आदी व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में ली गई सीरिंज व सुई का
प्रयोग न करें
• रक्त की आवश्यकता होने पर अंजान व्यक्ति का रक्त न लें। सुरक्षित रक्त के लिए
• एचआईवी जांच किया गया रक्त ही ग्रहण करें
• यथासंभव डिस्पोजेबल सिरिंज उपयोग में लाएं
• चिकित्सा उपकरणों को 20 मिनट पानी में उबालकर कर ही उपयोग में लाए