- जनपद में तीन मार्च तक चलेगा सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान
लखनऊ - राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम(एनटीईपी) के तहत 20 फरवरी से तीन मार्च तक सक्रिय क्षय रोगी खोज(एसीएफ) अभियान चलाया जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आर.वी. सिंह ने बताया कि अभियान दो चरणों में चलाया जाएगा। पहला चरण 20 और 21 फरवरी को चलेगा, जिसमें टीम अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, नवोदय विद्यालय, मदरसा एवं कारागृह में भ्रमण कर संभावित क्षय रोगियों का सैम्पल लेगी। 23 फरवरी से तीन मार्च तक एनटीईपी के कर्मचारी सहित आशा कार्यकर्ता और एएनएम ग्रामीण एवं शहरी मलिन बस्तियों एवं उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के घर-घर जाकर क्षय रोगियों को खोजेगी। लक्षण मिलने पर सर्वे टीम उसी समय संभावित मरीज के बलगम का नमूना लेकर जांच के लिए भेजेंगी क्षय रोग की पुष्टि होने पर शीघ्र ही इलाज शुरू हो जाएगा।
इस अभियान के तहत जिले की कुल आबादी के सापेक्ष 20 फीसद आबादी में क्षय रोग के लक्षणों की जांच की जाएगी। जनपद की लगभग 56 लाख आबादी के सापेक्ष 20 फीसद यानि लगभग 12 लाख आबादी को आच्छादित किए जाने का लक्ष्य है। इस अभियान के लिए 450 टीम गठित की गयी हैं। हर टीम में तीन सदस्य शामिल होंगे। इस तरह 1350 स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभियान में प्रतिभाग करेंगे। इसके अलावा अभियान में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई), सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर), हिंदुस्तान लेटेक्स फेमिली प्लानिंग प्रमोशन ट्रस्ट (एचएलएफपीपीटी) सहयोग करेंगी। जनपद में 28 टीबी यूनिट हैं । 54 डेजिग्नेटेड टीबी सेन्टर हैं । इसके अलावा पांच सीबीनॉट एवं 13 ट्रूनॉट मशीन हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी ने अपील की कि जब स्वास्थ्य कार्यकर्ता जांच के लिए घर पर आयें तो उनका सहयोग जरूर करें।
एसीएफ के नोडल अधिकारी दिलशाद हुसैन ने बताया कि सब्जी एवं फल मंडी, ईंट भट्ठे, स्टोन क्रशर, लेबर मार्केट, साप्ताहिक बाजारों में भी यह अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वय निजी अस्पताल संबंधी काम देखेंगे। दिलशाद हुसैन ने कहा कि टीबी के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी आए, शाम के समय बुखार आए, सीने में दर्द हो, थकान आए, बलगम में खून आये, रात में पसीना आता हो या लगातार वजन घट रहा हो तो पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं। स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यह जानना जरूरी है कि केवल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है। इसके अलावा नाखून एवं बालों को छोड़कर टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।