आज के डिजिटल युग में, जहां इंटरनेट और तकनीकी सुविधाएं हमारी जिंदगी को आसान बनाती हैं, वहीं साइबर अपराधी इन सुविधाओं का दुरुपयोग करते हुए नए-नए तरीके निकालते हैं। इनमें से एक खतरनाक स्कैम है "डिजिटल अरेस्ट।" जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह एक ऐसा साइबर फ्रॉड है जिसमें पीड़ित को उनके घर में कैद कर दिया जाता है और उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी का दुरुपयोग कर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया जाता है। ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब इससे जुड़ी कोई खबर न हो। धोखाधड़ी का यह तरीका इतना खतरनाक है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में इसके प्रति सतर्क किया है। अब तो कॉल करते समय कॉलर ट्यून भी इसी के बारे में चेतावनी देती है।
हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक खतरनाक तरीका बनकर उभरा है, जिससे लोग लाखों-करोड़ों की चपत खा रहे हैं। वाराणसी में Bareka अधिकारी और उनकी मां को 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर ठगों ने 18 लाख रुपये की ठगी की। वहीं, रांची में बीते 15 दिनों में 5 करोड़ रुपये की ठगी के मामले सामने आए हैं, जिसमें कुछ पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया गया तो कुछ को मुनाफे का लालच देकर फंसाया गया। इंदौर में एक महिला को डिजिटल अरेस्ट में रखकर करोड़ों की ठगी की गई, हालांकि पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बाराबंकी में ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर एक व्यक्ति से 83 हजार रुपये वसूल लिए। ग्वालियर में तो मामला और गंभीर था, जहां बीएसएफ इंस्पेक्टर को 32 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और उनसे 71 लाख रुपये ठग लिए गए। इस रकम को 42 अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया, और अब भी ठग उन्हें धमकी भरे कॉल कर रहे हैं। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया और खतरनाक रूप बन चुका है, जिससे सतर्क रहना बेहद जरूरी है।आइए जानते हैं डिजिटल अरेस्ट के काम करने के तरीके, इससे बचने के उपाय, और खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक उन्नत साइबर अपराध है जिसमें स्कैमर्स वीडियो कॉल या फोन कॉल के जरिए पीड़ित को ब्लैकमेल करते हैं। यह अपराध करने के लिए साइबर अपराधी एक ऐसा सेटअप बनाते हैं जो बिल्कुल पुलिस स्टेशन जैसा लगता है। वे पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके फोन नंबर, आधार कार्ड, या बैंक अकाउंट का उपयोग किसी अवैध गतिविधि के लिए किया गया है।
पीड़ित को गिरफ्तारी का डर दिखाकर उन्हें वीडियो कॉल के जरिए घर पर ही कैद कर लिया जाता है। इस दौरान उनसे लगातार संपर्क में बने रहने के लिए कहा जाता है और पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है। साइबर अपराधी पीड़ित को किसी से बात करने, मैसेज करने, या घर से बाहर जाने तक की अनुमति नहीं देते।
ऐसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल अरेस्ट की प्रक्रिया एक साधारण फोन कॉल या मैसेज से शुरू होती है। ठग खुद को पुलिस, इनकम टैक्स, या कस्टम डिपार्टमेंट का अधिकारी बताते हैं। वे झूठे आरोप लगाते हैं, जैसे:
- आपके पैन और आधार का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग या अवैध गतिविधियों में किया गया है।
- आपके नाम से कोई प्रतिबंधित सामग्री वाला पार्सल पकड़ा गया है।
- आपके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल ड्रग्स या अन्य गैरकानूनी कार्यों के लिए किया गया है।
डिजिटल अरेस्ट का खेल ऐसे खेला जाता है:
- अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आती है।
- पीड़ित को अवैध गतिविधियों के झूठे आरोप लगाकर डराया जाता है।
- वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
- बैकग्राउंड में नकली पुलिस स्टेशन जैसा माहौल बनाकर कॉल को वास्तविक बनाया जाता है।
- मामले को निपटाने और गिरफ्तारी से बचने के नाम पर मोटी रकम की मांग की जाती है।
- पीड़ित को धमकी दी जाती है कि वे किसी से इस बारे में बात न करें।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय : डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे बड़ा उपाय जागरूकता और सतर्कता है। नीचे कुछ प्रभावी सुझाव दिए गए हैं:
- डरें नहीं, सतर्क रहें - डिजिटल अरेस्ट स्कैम का मुख्य उद्देश्य डर फैलाना है। अगर आपको इस तरह का कोई कॉल आता है, तो घबराएं नहीं। सबसे पहले खुद को शांत रखें और कॉल को तुरंत काट दें। याद रखें, कोई भी सरकारी एजेंसी या पुलिस कभी भी फोन पर धमकी नहीं देती।
- पहचान की पुष्टि करें -यदि कोई आपसे आपकी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी मांगता है, तो उसे देने से पहले कॉलर की पहचान सत्यापित करें। बैंक या किसी भी जांच एजेंसी के अधिकारी फोन पर पिन, पासवर्ड, या अन्य संवेदनशील जानकारी नहीं मांगते।
- संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें - अगर आपको स्कैम कॉल, मैसेज, या ईमेल मिलता है, तो इसकी तुरंत शिकायत करें।
- स्थानीय पुलिस स्टेशन में जाएं।
- सबूत के तौर पर कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज, या ईमेल दिखाएं।
- सरकारी पोर्टल "चक्षु" का उपयोग कर स्कैम को रिपोर्ट करें।
अपने डिवाइस और अकाउंट को सुरक्षित रखें :
- ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए अपने सभी डिवाइस और अकाउंट को सुरक्षित रखें:
- पासवर्ड को नियमित रूप से बदलें और मजबूत बनाएं।
- 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को इनेबल करें।
- अपने डिवाइस को लेटेस्ट सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस के साथ अपडेट रखें।
वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें : यदि आपसे वीडियो कॉल पर संपर्क किया जाता है और धमकाया जाता है, तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग चालू कर लें। यह सबूत के तौर पर काम आ सकता है।
साइबर फ्रॉड से बचने के अन्य उपाय : साइबर क्राइम से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- ऑनलाइन जागरूकता: साइबर अपराधों के तरीकों और उनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी रखें।
- संदिग्ध कॉल और मैसेज से बचें: अनजान नंबर से आए कॉल या मैसेज को इग्नोर करें।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: किसी के साथ अपने पिन, पासवर्ड, या बैंक डिटेल्स साझा न करें।
- विश्वसनीय वेबसाइट का ही उपयोग करें: ऑनलाइन ट्रांजेक्शन केवल सुरक्षित और प्रमाणित वेबसाइट से करें।
- डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराध हमारी तकनीकी उन्नति का गलत इस्तेमाल करने का एक बड़ा उदाहरण हैं। यह स्कैमर्स के उन्नत और मनोवैज्ञानिक तरीके का प्रमाण है, जो लोगों के डर का फायदा उठाते हैं। ऐसे में जागरूकता और सतर्कता ही आपका सबसे बड़ा हथियार है।
- अगर आप कभी इस तरह के किसी स्कैम का शिकार होते हैं, तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें और अपने दोस्तों और परिवार को भी इसके बारे में जागरूक करें। हमेशा याद रखें, आपकी एक सतर्कता आपको साइबर अपराध का शिकार बनने से बचा सकती है।
लेखक के बारे में: डॉ. अनिमेष शर्मा एक डिजिटल मार्केटिंग कंसलटेंट, लेखक, वक्ता, और ट्रेनर हैं, जो कंपनियों को ऑनलाइन व्यापार में मदद करते हैं। उनके पास डिजिटल मार्केटिंग में 18 वर्षों से अधिक का अनुभव है और वह डिजिटलवाला के मेंटर हैं। उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या, उत्तर प्रदेश से इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बी.टेक और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय से ई-बिजनेस में एमबीए किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से डेटा एनालिटिक्स में ट्रेनिंग प्राप्त की है। डॉ. शर्मा ने लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, फगवाड़ा, पंजाब से मार्केटिंग में पीएचडी की है।