- अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष
- स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूत कड़ी नर्सों की अर्थव्यवस्था की मजबूती में भी बड़ी भूमिका
- ‘हमारी नर्सें, हमारा भविष्य, नर्सों की देखभाल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है’ थीम पर मनाया जाएगा दिवस
त्याग, सेवा, सामर्थ्य और संवेदनशीलता की मिसाल नर्सेज को सैल्यूट करने का आज खास दिन है। घर में जिस तरह ममता की मूर्ति माँ अपने बच्चों की देखभाल करती हैं वैसे ही धैर्यपूर्वक अस्पतालों या घरों में मरीजों की दिन-रात सेवा और देखभाल में जुटीं नर्सेज को वैसे तो हर दिन धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए क्योंकि बीमार के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाने में उनकी अहम भूमिका होती है। उनकी इसी अहम भूमिका को देखते हुए हर साल 12 मई को फ्लोरेंस नाइटेंगेल (आधुनिक नर्सिंग सेवा की जनक) के जन्मदिवस पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है, जिसके माध्यम से समुदाय में उनके योगदान को सराहा जाता है और उनके सम्मान का संकल्प लिया जाता है। इस साल इस खास दिवस की थीम-“ हमारी नर्सें, हमारा भविष्य ...नर्सों की देखभाल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है” तय की गयी है। यह थीम यह सीख देती है कि बीमार को स्वस्थ बनाकर एक बार फिर जीवन की मुख्य धारा से जोड़कर कामकाज पर लौटने के योग्य बनाकर वह अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का भी काम करती हैं।
नर्सेज की कड़ी मेहनत और समर्पण की भावना को किसी भी आपातकालीन परिस्थितियों में आसानी से देखा जा सकता है, जब वह काम के घंटों और अपने घर-परिवार की परवाह किये बगैर मरीज की जान बचाने को चिकित्सक के कंधे से कन्धा मिलाकर अनवरत काम करने में तत्पर रहती हैं। इसीलिए डाक्टर और मरीज के बीच की मजबूत कड़ी के रूप में भी उन्हें जाना जाता है, क्योंकि चिकित्सक आवश्यकतानुसार मरीज की स्थिति जानने को आते हैं लेकिन अस्पताल में मरीज की सेवा सुश्रुषा के लिए हर वक्त कोई मौजूद रहता है तो वह नर्स ही हैं। कोविड के दौरान उनकी सेवा की इसी मिसाल को आज भी समाज में पूरे सम्मान के साथ देखा जाता है। उनकी सेवा और त्याग की इसी भावना को देखते हुए और नर्सिंग पेशे को बढ़ावा देने व नर्सिंग पेशे के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदाय में आज विभिन्न आयोजन किये जाने की खास जरूरत है। इसके साथ ही आज के दिन नर्सों को सम्मानित कर उनके सेवाभाव को बढ़ावा देने का भी संकल्प हर किसी को लेना चाहिए। इसके साथ ही विशेष तौर पर आज का दिन यह भी संकल्प लेने का है कि नर्सों के बेहतर स्वास्थ्य और उनके समग्र कल्याण के लिए कल्याणकारी सुदृढ़ नीतियाँ बनाई जाएँ और उनके सुखद भविष्य के कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए। नर्सों को एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना सुनिश्चित किया जाए। नर्सों के लिए काम के अवसर को भी बढ़ाया जाए।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि नर्सिंग पेशे से तमाम चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं, जिस पर विराम लगाना बहुत जरूरी है। इस पेशे के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती काम के बोझ के साथ मानसिक तनाव की स्थिति देखने को मिलती है। इसलिए अस्पतालों में स्टाफ की कमी को दूर किया जाना चाहिए, यह तभी संभव है जब इस पेशे को सम्मान के साथ देखा जाए और अस्पतालों में उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित किया जाए।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)