समुदाय आधारित गतिविधियों के बारे में आईसीडीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण



  • गोदभराई व अन्नप्राशन के जरिए जरूरी संदेश समुदाय तक पहुंचाने पर रहे जोर  

लखनऊ - आंगनबाड़ी केन्द्रों की समुदाय आधारित गतिविधियों जैसे – गोद भराई और अन्नप्राशन को और सुदृढ़ बनाने  के लिए  बृहस्पतिवार को  यूनिसेफ़ के सहयोग से रमा फाउंडेशन द्वारा बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) के जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को विकास भवन सभागार में प्रशिक्षित किया  गया | प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य विकास अधिकारी अश्विनी कुमार ने कहा- प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी अधिकारी अपने क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का पूरा फॉलो अप बना लें | प्रशिक्षण का औचक निरीक्षण स्वयं उनके द्वारा किया जाएगा | प्रशिक्षण बेहतर ढंग से होना चाहिए |

प्रशिक्षक डीएस दीक्षित ने बताया- आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई के आयोजन से पूर्व समुदाय को इसके आयोजन की जानकारी होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग आयोजन में शामिल हो सकें |  जहां तक संभव हो महिला ,व परिवार के सदस्यों के साथ ही उसके पति को भी इस आयोजन में शामिल करें क्योंकि उन्हें भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि महिला को  गर्भावस्था के दौरान क्या सेवन  करना है | इसके साथ ही आयोजन के बाद भी उस महिला का फॉलोअप जरूर करें कि जो भी बातें गोद भराई के दौरान बताई गई हैं उनका पालन किया जा रहा है या नहीं |  यह केवल गतिविधि ही नहीं लोगों को प्रदर्शन के द्वारा जागरूक करने का एक बेहतर माध्यम है |  इसके साथ ही महिला को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और जननी सुरक्षा योजना के बारे में भी बताएं |

इस मौके पर प्रशिक्षक अनुराग सिंह ने अन्नप्राशन के बारे में बताया- यह गतिविधि पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ  रही है | लोग इसे जानते तो हैं लेकिन इसके महत्व को नहीं जानते | इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस गतिविधि को आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित किया जाता है | इसके माध्यम से लोगों को यह बताया जाता है कि छह माह के बाद माँ का दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ता है क्योंकि उसका शरीर बढ़त की अवस्था में होता है तब उसे माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है | इसलिए महिला के साथ उसके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को ऊपरी आहार के सेवन के बारे में बताने के साथ ही इसे अमल में लाने के लिए प्रेरित करना और इस बात का फॉलो अप भी करना कि बच्चे को ऊपरी आहार समुचित रूप से दिया जा रहा है |  श्री सिंह ने बताया- छह माह का होने के बाद ऊपरी आहार शुरू करें और इस दौरान स्तनपान भी जारी रखें | इसके साथ ही ऊपरी आहार के सेवन के बाद बच्चे की वृद्धि निगरानी करें और ग्रोथ चार्ट में नियमित वजन भरते हुए देखें कि उसके वजन में बढ़ोत्तरी हो रही है | इसके अलावा अभिभावकों और परिवार के सदस्यों को साफ सफाई के बारे में जानकारी दें |

प्रशिक्षण में यह भी जानकारी दी गयी कि  यदि लाभार्थी आंगनबाड़ी केंद्र पर अन्नप्राशन और गोदभराई कार्यक्रम में प्रतिभाग नहीं कर पाते हैं तो उनके घर का भ्रमण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अवश्य करें और इसका विवरण रजिस्टर पर अंकित करे | इस मौके पर रोल प्ले के माध्यम से प्रतिभागियों को समय से ऊपरी आहार शुरू करने के महत्व के बारे में जानकारी दी गई |

जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेन्द्र दुबे ने बताया- समुदाय आधारित गतिविधियां जैसे गोद भराई और अन्नप्राशन समुदाय के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित की जाती हैं | इनके आयोजन का उद्देश्य इन गतिविधियों में समुदाय को शामिल करते हुए गोदभराई और अन्नप्राशन के महत्व को बताना है  | प्रशिक्षण का उद्देश्य इन गतिविधियों को और अधिक सुदृढ़ करना है |  इसके लिए सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं सुपर्वाइजर को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया | यह सभी अपने क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इन गतविधियों को और अधिक बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे | इस मौके पर यूनिसेफ़ की अनिता भी उपस्थित रहीं |