अनुकरणीय हैं फाइलेरिया उन्मूलन में महराजी गांव के प्रयास



  • महराजी एचडब्ल्यूसी पर सीडीओ, एडी हेल्थ और सीएमओ ने किया फाइलेरिया कार्नर का शुभारंभ

गोरखपुर - जनपद के पिपराईच ब्लॉक के महराजी गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर मंगलवार से फाइलेरिया कार्नर का शुभारंभ किया गया । इस कार्नर पर दिल्ली, मुंबई, मद्रास जैसे शहरों में रहने वाले गांव के प्रवासियों को दीपावली, छठ और होली जैसे पर्व पर गांव लौटने पर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी । सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सुषमा सिंह अपने सामने उन्हें दवा का सेवन कराएंगी । आशा, आंगनबाड़ी और फाइलेरिया रोगी नेटवर्क प्रवासियों को फाइलेरिया कार्नर तक लाने में सहयोग करेंगे। इसका शुभारम्भ सीडीओ संजय कुमार मीणा, एडी हेल्थ डॉ आईबी विश्वकर्मा और सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने गांव पहुंच कर किया।

कार्नर के शुभारम्भ कार्यक्रम में पहुंचे सीडीओ संजय कुमार मीणा,  एडी हेल्थ गोरखपुर मंडल डॉ आईबी विश्वकर्मा, सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनुभव कुमार मिश्र, नोडल अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा और जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने गांव के ग्रामीणों के प्रयासों की सराहना की जिनकी मदद से अभियान के दौरान गांव में उपलब्ध शत फीसदी लोगों को दवा का सेवन कराया जा सका ।

एडी हेल्थ डॉ आईबी विश्वकर्मा ने बताया कि महराजी गांव गोरखपुर मंडल का पहला ऐसा गांव रहा जहां शत फीसदी लोगों को सबसे पहले दवा का सेवन कराया जा सका है । इसमें स्वास्थ्यकर्मियों व गांव के लोगों के साथ फाइलेरिया रोगी नेटवर्क का विशेष योगदान रहा है । मंडल के गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जनपद में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क कार्य कर रहा है । इस गंभीर बीमारी से ग्रसित फाइलेरिया मरीज ही इस नेटवर्क का हिस्सा बन कर समुदाय को जागरूक कर रहे हैं। नेटवर्क की मदद से फाइलेरिया रोगियों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं । साल में एक बार लगातार पांच साल तक इससे बचाव की दवा बड़ी आबादी द्वारा खाई जाए तो इस बीमारी से समुदाय को मुक्त कराया जा सकता है। महराजी गांव में अभियान के दौरान उपलब्ध 3090 लोगों को दवा का सेवन करा दिया गया। इसके लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने रात में भी अभियान का संचालन किया था । गांव के लोगों ने भी उनका साथ दिया । ग्रामीणों के उत्साह को देखते हुए इस गांव में प्रवासियों को दवा खिलाने का एक नवाचार शुरू किया गया है, जिसके परिणामों के आधार पर भावी कार्ययोजना बनाई जा सकती है ।

जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पाया जाता है । इसका संक्रमण होने पर लक्षण दिखने में पांच से पंद्रह वर्ष तक का समय लग जाता है। एक बार यह बीमारी हो जाती है तो पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती । महराजी गांव में आधा दर्जन से अधिक फाइलेरिया रोगी हैं, इसलिए सभी के लिए बचाव की दवा का सेवन करना अनिवार्य है।

इस मौके पर अधीक्षक डॉ मणि शेखर, एएमओ राजेश चौबे, मलेरिया इंस्पेक्टर पूजा, बीपीएम प्रशांत गोबिंद राव, बीसीपीएम विमलेश त्रिपाठी, एचएस रमेश चंद्र, आईसीडीएस डिपार्टमेंट से कुसुम लता, एएनएम कुसुम कुमारी, सीएचओ प्रीतम कुमार शर्मा, नवीन कुमार, रामावतार बैरवा समेत दर्जनों स्वास्थ्यकर्मी, नेटवर्क सदस्य, आशा, आंगनबाड़ी और ग्रामीण प्रमुख तौर पर मौजूद रहे । कार्यक्रम में सीफार संस्था के प्रतिनिधिगण ने विशेष सहयोग प्रदान किया ।

सम्मानित हुईं अंग्रिमपंक्ति कार्यकर्ता : गांव की आशा कार्यकर्ता रंभा, बिघना देव और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शांति, सत्या व पुष्पा को इस मौके पर उनके विशेष प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया । फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सदस्य दरशन, ढोढई, मैरूनिशा, हमीद और सतराम समेत 35 नेटवर्क सदस्यों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किये गये ।

एमएमडीपी किट मिला : फाइलेरिया कार्नर के शुभारंभ के मौके पर सीडीओ द्वारा गांव के प्रवासी रामकृपाल शर्मा (45) को दवा का सेवन कराया गया । फाइलेरिया मरीज अकलू, राजेंद्र, ठगीना, गीता देवी, मीना और राजमति को एमएमडीपी किट भी दी गयी । अकलू (65) ने बताया कि इस किट की मदद से फाइलेरिया प्रभावित अंग की साफ सफाई करेंगे और नियमित व्यायाम करेंगे । ऐसा करने से हाथीपांव नियंत्रित रहता है ।