- महिलाओं और बच्चों संबंधी भारत सरकार की दोनों प्रमुख योजनाओं को सफल बनाने के लिए विमर्श
- मंडल स्तरीय कार्यशाला में योजनाओं के सभी पहलुओं के बारे में संबंधित विभागों का हुआ संवेदीकरण
गोरखपुर - महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और आत्मनिर्भता की कुंजी के तौर पर लागू की गयीं भारत सरकार की ‘मिशन शक्ति’ और ‘मिशन वात्सल्य’ योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने की पहल पूरे प्रदेश में शुरू हो गयी है। इसके लिए प्रदेश के अलग अलग मंडलों में आयोजित हो रही मंडल स्तरीय कार्यशालाओं के प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। इसी कड़ी में गोरखपुर मंडल की कार्यशाला कमिश्ननरेट सभागार परिसर में शुक्रवार को सम्पन्न हुई ।
गोरखपुर के मंडलायुक्त अनिल ढींगरा के तत्वावधान और महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक संदीप कौर, की अध्यक्षता में मंडल के सभी जिलों के प्रशासन, पुलिस व सहयोगी विभागों ने कार्यशाला में मजबूत कार्ययोजना बनाने के बारे में विमर्श किया। विषय विशेषज्ञों द्वारा दोनों योजनाओं के सभी पहलुओं के बारे में संबंधित विभागों का संवेदीकरण किया गया ।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संदीप कौर ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और उत्थान की दिशा में कार्य कर रहे सभी सरकारी विभागों और स्वयंसेवी संस्थाओं के बीच कन्वर्जेंस को बढ़ाना है। प्रशासन की अगुवाई में पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास सेवा और पुष्टाहार, खेलकूद और कौशल विकास समेत विभिन्न विभाग इन योजनाओं को ध्यान में रखते हुए मजबूत पहल करें । समाज में यह संदेश प्रमुखता से प्रसारित हो कि जिन महिलाओं और बच्चों के साथ कोई नहीं है, उनके साथ सरकार और उसके सभी विभाग खड़े हैं ।
राज्य सलाहकार नीरज मिश्र ने कहा कि मिशन वात्सल्य योजना को लागू करने में जिलाधिकारी की भूमिका काफी अहम है। जिले की बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष के तौर पर इस योजना के क्रियान्वयन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की ही है। उन्हें बाल कल्याण, बाल अधिकार और बाल संरक्षण के लिए कानूनों और प्रावधानों का क्रियान्वयन सुगम बनाना है। विभिन्न योजनाओं का लाभ बच्चों और उनके परिवारों तक पहुंचे इसके लिए विशेष कार्यक्रमों में डीएम की भूमिका महत्वपूर्ण है। समाज कल्याण, दिव्यांगजन कल्याण, उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन, शिक्षा विभाग, विधिक सेवा प्राधिकरण, कॉरपोरेट कार्य, आयुष, पुलिस, इलेक्ट्रॉनिक सूचना व प्रोद्यौगिकी, पंचायती राज, स्वास्थ्य विभाग, श्रम, न्याय, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार और खेलकूद विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर कार्य करेंगे तो मिशन वात्सल्य का उद्देश्य साकार हो जाएगा।
बाल संरक्षण विशेषज्ञ सैयद मंसूर उमर कादरी ने कहा कि इन कार्यशालाओं से यह पहली बार हो रहा है की महिलाओं व बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास हेतु एक साथ चर्चा कर रहे हैं। दोनो योजनाओं में असीमित संभावनाएं है जिनसे हम प्रदेश में बच्चों और महिलाओं से संबंधित संकेतकों में सुधार कर सकते हैं।
राज्य सलाहकार नीरज मिश्रा ने मिशन वात्सल्य के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया कि केंद्र सरकार की इस योजना का लक्ष्य कठिन परिस्थितियों वाले बच्चों की सहायता के साथ साथ उनके भरण पोषण की भी व्यवस्था करना है। यह नवाचारों के प्रोत्साहन के साथ साथ विभिन्न विभागों के मध्य कन्वर्जेंस पर जोर देती है। वर्ष 2009 से पहले बालकों के संरक्षण के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने तीन योजनाएं लागू की थीं जिन्हें 2010 में एकीकृत बाल संरक्षण योजना में शामिल कर लिया । वर्ष 2017 में इस योजना का नाम बदल कर बाल संरक्षण सेवा योजना किया गया जिसे वर्ष 2021-22 में मिशन वात्सल्य का नाम दिया गया । यह बाल संरक्षण सेवाओं के लिए एक व्यापक योजना है। वैधानिक निकायों की कार्यप्रणाली में सुधार, सेवा वितरण संरचना को मजबूत करना, उच्च स्तरीय संस्थागत देखभाल और सेवाएं, गैर संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहन, आपातकालीन आउटरीच सेवाएं और प्रशिक्षण एवं क्षमता वर्धन इसके प्रमुख अंग हैं।
राज्य सलाहकार प्रीतेश तिवारी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति योजना के दो उपयोजनाओं संबल और सामर्थ्य का संचालन किया जा रहा है । संबल उप योजना के तहत वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और नारी अदालत जैसे घटकों का सहारा लिया जा रहा है । सामर्थ्य उप योजना के तहत श्रमजीवी महिलाओं के लिए सखी निवास, राष्ट्रीय शिशु गृह योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना और महिला सशक्तिकरण केंद्र (हब फॉर इम्पॉवरमेंट ऑफ वूमेन) का संचालन हो रहा है । ड्रिस्ट्रिक्ट हब फॉर वूमेन के जरिये महिलाओं के कल्याण पर जोर देने का प्रयास है। इसके जरिये महिलाओं और बालिकाओं से जुड़ी योजनाओं और कानूनों का प्रचार प्रसार करना है । इस तरह संबंधित योजनाओं तक उनकी पहुंच बनानी है। इसके लिए अन्य विभागों और स्टेकहोल्डर्स से समन्वय बनाना होगा। उन्होंने बताया कि वन स्टॉप सेंटर के जरिये प्रदेश में वर्ष 2016-17 से अब तक 1.60 लाख केस संदर्भित हुए हैं। इस सेंटर के जरिये हिंसा पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे अल्प प्रवास (पांच दिन), चिकित्सकीय सहायता, परामर्श सेवाएं, विधिक सहायता और पुलिस सहायता सभी 75 जनपदों में दी जा रही हैं।
विभाग के राज्य सलाहकार प्रीतेश कुमार तिवारी ने मिशन शक्ति योजना के बारे में प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि यह योजना भारत सरकार की महिला नेतृत्व आधारित विकास की प्रतिबद्धता को साकार रूप देगी। इसका उद्देश्य संकटग्रस्त एवं हिंसा, दुर्व्यवहार, शोषण से प्रभावित महिलाओं और लड़कियों को तत्काल व्यापक सहायता, देखभाल और समर्थन देना है। लिंग चयनात्मक विधियों को रोकने और उन्मूलन के लिए बच्चियों के अस्तित्व, संरक्षण, शिक्षा और विकास को यह सुनिश्चित करेगी। इस योजना के जरिये महिलाओं और लड़कियों के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए जनता के बीच जागरूकता पैदा करना है। योजना के तहत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और कन्या सुमंगला योजना का कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है जिनका उद्देश्य बालिकाओं के जन्म के प्रति समाज में सकारात्मक सोच का विकास है। पति की मृत्यु पर निराश्रित महिला पेंशन का भी प्रावधान है जिसमें लाभार्थी की अधिकतम आयु सीमा भी समाप्त कर दी गयी है । इसके लाभार्थियों की वार्षिक आय दो लाख तक होनी चाहिए।
कार्यशाला के दौरान आली संस्था की निदेशक एडवोकेट रेनू मिश्रा और ओंकार नाथ तिवारी ने सभी पहुलओं के बारे में प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया। किशोर न्याय, पॉक्सो, बाल विवाह, बाल श्रम, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण और पॉश अधिनियम के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी और सवाल पूछे गये। कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक दिलीप कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य संबंधी लघु फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया ।
कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से गोरखपुर मंडल के सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े और कार्यशाला को सम्बोधित किया । अन्य जनपदों के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न विभागों के अधिकारी और प्रतिनिधिगण भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन महराजगंज जनपद के जिला प्रोबेशन अधिकारी ध्रुव चंद त्रिपाठी ने किया । आयोजन में जिला प्रोबेशन अधिकारी गोरखपुर समर बहादुर, डी टी आर पी नीरज शर्मा सहित जिला बाल संरक्षण इकाई गोरखपुर और हब फॉर वूमेन इम्पॉवरमेंट गोरखपुर ने विशेष सहयोग किया।