- एनीमिया के ससमय प्रबंधन, उपचार व रोकथाम की मिलेंगी सेवायें
- गर्भावस्था में एनीमिया प्रबंधन से मातृ मृत्यु दर में आएगी कमी - डॉ रस्तोगी
- प्रसवोत्तर अत्यधिक रक्त स्त्राव से बढ़ती हैं मुश्किलें, प्रसव पूर्व जांच एनीमिया प्रबंधन में सहायक
कानपुर नगर - गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्त स्त्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता न सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। यह बातें शनिवार को परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ रमित रस्तोगी ने कहीं। उन्होंने ब्लॉक सरसौल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिले के पहले मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर का शुभारंभ भी किया
डा. रस्तोगी ने बताया कि ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान पर प्रसव पूर्व जांच के माध्यम से एनेमिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा रही है।साथ ही सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। महिलाओं के बीच एनीमिया के विषय में संपूर्ण जानकारी से प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। जटिल प्रसव के कुशल प्रबंधन के लिए खून चढ़ाने की भी जरूरत हो सकती है इसी उद्देश्य से ग्रामीण स्तर पर पहला मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरसौल में स्थापित किया गया है।
उन्होंने बताया की एनीमिया की पहचान हिमोग्लोबीन लेबल जांच करने के बाद की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला हिमोग्लोबीन लेबल 11 ग्राम से ज्यादा है तो इसी सामान्य मानकर दवाइयां दी जाती हैं। हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से 11 ग्राम होता है उसे मॉडरेट कहते हैं। यदि हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से नीचे है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है। हिमोग्लोबीन 7 ग्राम से 10 ग्राम के बीच रहता है तो दूसरी या तीसरी तिमाही में उस महिला को मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर में आयरन सूक्रोज का इंजेक्शन दिया जायेगा जिससे प्रसव के समय खून से सम्बंधित कोई जटिलतायें ना हों । इसके साथ ही उन्होंने बताया की जनपद के अन्य सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मातृ एनीमिया प्रबंधन कार्नर स्थापित करने की तैयारियां चल रहीं हैं। जल्द ही वहां पर भी गर्भवती महिलाओं को सेवायें मिलने लगेंगी।
यूपीटीएसयू की डिस्ट्रिक्ट स्पेशलिस्ट कम्युनिटी आउटरीच कुसुम सिंकू का कहना है हीमोग्लोबीन की कमी एनीमिया की मुख्य वजह है। गर्भावस्था के दौरान 80 फीसदी महिलाओं को एनीमिया से ग्रसित होने का खतरा रहता है। एनीमिया की वजह से प्रसव संबंधी जटिलता बढ़ने के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होने का खतरा रहता है। यही नहीं एनीमिया मातृ-शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं सामान्य महिलाओं के एनीमिक होने से माहवारी के दौरान रक्तस्श्राव व तकलीफ बढ़ जाती है। बालों को झड़ना, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर व शारीरिक दुर्बलता का बढ़ना बेहद आम है।
पोषक तत्वों की भूमिका : कुसुम ने बताया कि फोलिक एसिड गर्भस्थ शिशु में मस्तिष्क और रीढ़ के विकास में सहायक होता है। इसके सेवन से बच्चों को जन्मजात दोषों से बचाया जा सकता है। आयरन के सेवन से रक्त संचार में वृद्धि होती है, जिससे गर्भवती और गर्भस्थ शिशु तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है। कैल्शियम गर्भ में पल रहे शिशु की हड्डियों के निर्माण और गर्भवती के रक्तचाप को नियंत्रित रखने तथा हड्डियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही मात्रा में कैल्शियम का सेवन करने से मांसपेशियाँ और तंत्रिका तंत्र मजबूत होते हैं। इसके आलावा गर्भवती की थाली में चार रंग के खाद्य पदार्थों को शामिल कर कार्बोहाइड्रेट, वसा, आयोडीन, ओमेगा 3, प्रोटीन और विटामिन्स जैसे अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन जरुरी : चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रणब कर का कहना है कि प्रसव को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए गर्भवती अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता और एएनएम के बराबर संपर्क में रहें। उनके द्वारा दी जाने वालीं आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन अवश्य करें। यदि गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होना, खून की कमी यानि कमजोरी या थकान महसूस हो, बुखार आना, पेडू में दर्द या योनि से बदबूदार पानी आना, उच्च रक्तचाप यानि अत्यधिक सिरदर्द, झटके आना या दौरे पडऩा और गर्भ में पल रहे शिशु का कम घूमना जैसे खतरे के लक्षण नजर आएं तो 102 एंबुलेंस की मदद से स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला महिला अस्पताल जाकर जांच अवश्य कराएं।
यहाँ मिलेंगी यह सेवायें :
- एनीमिया की जांच हेतु लैब सेवायें
- एनीमिया से बचाव व उपचार हेतु आयरन फोलिक एसिड दवाओं का वितरण
- कृमिनाशक दवाओं का वितरण
- एनिमिक महिलाओं को आवश्यकतानुसार इंजेक्शन आयरन सुक्रोज़ तथा चिकित्सकीय उपचार
- पोषण सम्बन्धी परामर्श सेवायें
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन
एनएफएचएस- 5 के अनुसार जहाँ प्रदेश की 45.9 प्रतिशत गर्भवती महिलायें एनीमिया से ग्रसित हैं वहीँ जनपद में यह प्रतिशत 46.3 है। इस दौरान स्वास्थ्य केंद्र के बीपीएम , बीसीपीएम सहित अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा।