जैसे शरीर पांच तत्वों से बना है वैसे ही टीबी के होते हैं पांच लक्षण : डा. सूर्यकान्त



  • लखनऊ के आठ मेडिकल कालेज के चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीबी पर कार्यशाला आयोजित

लखनऊ । राजधानी के तीन सरकारी मेडिकल कालेजों किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान और एसजीपीजीआई के साथ पाँच प्राइवेट मेडिकल कालेजों इंटीग्रल मेडिकल कालेज, एरा मेडिकल कालेज, करियर मेडिकल कालेज, टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज और प्रसाद मेडिकल कालेज के चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सोमवार को केजीएमयू के कलाम सेंटर में टीबी पर कार्यशाला आयोजित की गयी।

कार्यशाला का आयोजन जिला क्षय रोग केन्द्र लखनऊ तथा केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने किया। इस अवसर पर करीब 150 चिकित्सों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की नार्थ जोन टास्क फोर्स (उत्तर भारत के नौ राज्यों की टास्क फोर्स) के चेयरमैन  व केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि जिस तरह मनुष्य का जीवन पांच तत्वों (धरती, जल, आकाश, वायु, अग्नि) से बना है, इसी तरह टीबी के पांच मुख्य लक्षण होते हैं जिन्हें सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जानना चाहिए। उन्होंने इन पांच लक्षणों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, खांसी में खून आना, बुखार जो कि शाम को बढ़ जाता है तथा रात में बुखार के साथ पसीना भी आता है, भूख कम लगना तथा वजन का घटना है। अगर इन पांचों में से कोई लक्षण किसी व्यक्ति को है तो उसे टीबी हो सकती है, इसके लिए बलगम की दो जांच तथा सीने का एक्स-रे कराया जाता है।

ज्ञात हो कि उप्र के समस्त मेडिकल कालेजों, जिला अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों के सभी चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी के बारे में प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी केजीएमयू को दी गयी है, जिसका प्रारम्भ फरवरी 2024 में उप्र के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा तथा केजीएमयू की कुलपति डा. सोनिया नित्यानन्द ने किया था। ज्ञात रहे कि केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को टीबी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ड्रग रेजीस्टेंट टीबी के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स घोषित किया है। कार्यशाला को जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अतुल कुमार सिंघल, कार्यशाला के संयोजक डा. अजय कुमार वर्मा, आयोजन सचिव डा. दर्शन कुमार बजाज, सह सचिव डा. ज्योति बाजपेई, डा. अंकित कुमार ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर केजीएमयू के हड्डी रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष तथा वर्तमान में प्रसाद मेडिकल कालेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डा. जीके सिंह, उप्र में टीबी रिसर्च की चेयरपर्सन डा. ऋचा मिश्रा, केजीएमयू के डा. एसके सिंह, डा. प्रशांत बाजपेयी, डा. अमित कुमार, डा. पारूल जैन, डा. सारिका गुप्ता आदि चिकित्सकों ने प्रतिभागियों को टीबी के संबन्ध में प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में साधारण टीबी, एमडीआर टीबी, फेफडे़ के अलावा अन्य अंगों की टीबी, टीबी के दवाओं के दुष्प्रभाव आदि विषयों पर सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।