- पुरुष नसबंदी पखवाड़ा पर विशेष
- पूरी तरह सुरक्षित व आसान है पुरुष नसबंदी, परिवार पूरा होने पर जरूर अपनाएं
शारीरिक बनावट के मुताबिक़ पुरुष नसबंदी बेहद सरल और पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें महज कुछ मिनट लगते हैं। नसबंदी के दो-तीन दिन बाद पुरुष अपने काम पर भी आराम से जा सकते हैं। इसलिए पुरुष यह न सोचें कि परिवार नियोजन या परिवार की सेहत का ख्याल रखना सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का काम है। इसमें वह भी बराबर की जिम्मेदारी निभाएं और महिलाओं व बच्चों को स्वस्थ व खुशहाल बनाने में भागीदार बनें। समुदाय तक इस सन्देश को पहुँचाने और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से ही 21 नवम्बर से चार दिसम्बर तक पुरुष नसबंदी पखवारा मनाया जा रहा है। इस पखवारे की थीम है- “आज ही शुरुआत करें, पति-पत्नी मिलकर परिवार नियोजन की बात करें।“
पुरुष नसबंदी ( एनएसवी) पखवारा दो चरणों में मनाया जाएगा। पहले चरण में 21 से 27 नवम्बर तक जनजागरूकता, तैयारियों और लाभार्थियों को चिन्हित करने (मोबिलाइजेशन चरण) पर जोर रहेगा और दूसरे चरण में 28 नवम्बर से चार दिसम्बर तक सेवा प्रदायगी चरण के तहत पुरुष नसबंदी की सेवा विशेष तौर पर प्रदान की जाएगी। इसके लिए जनपद से लेकर ब्लाक स्तर तक हर जरूरी प्रबंध किए गए हैं। अभियान के तहत जन-जन तक यह सन्देश पहुँचाया जा रहा है कि नवविवाहित को पहले बच्चे की योजना शादी के कम से कम दो साल बाद ही बनानी चाहिए ताकि इस दौरान पति-पत्नी एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ सकें और बच्चे के बेहतर लालन-पालन के लिए कुछ पूँजी भी जुटा लें। इसके अलावा मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से भी दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए। उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने योग्य महिला का शरीर नहीं बन पाता और पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी होता है। इसके लिए सरकार ने गर्भनिरोधक साधनों की बास्केट यानि “बास्केट ऑफ़ च्वाइस” का प्रबंध किया है, जिससे अपने मनमुताबिक़ साधन चुनकर अपनी सुविधा के हिसाब से परिवार का प्लान बड़ी आसानी से कर सकते हैं। बास्केट ऑफ़ च्वाइस की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं प्रतीत होती। इसके अलावा जल्दी-जल्दी गर्भधारण करना मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी सही नहीं होता। इस तरह गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है वहीँ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) की भी व्यवस्था की गयी है ताकि पुरुषों को बिना झिझक वहां से कंडोम या अन्य परिवार नियोजन के साधन प्राप्त करने में आसानी हो। इसमें कंडोम के साथ प्रेगनेंसी चेकअप किट और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों को भी शामिल किया गया है।
पखवारे के तहत पहले चरण में अभियान के प्रभावी समन्वय के लिए सेवा प्रदाताओं, जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं सहित सभी आवश्यक हितधारकों की पहचान कर उनके साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। उच्च प्रजनन दर वाले क्षेत्रों का चिन्हांकन कर आवश्यकतानुसार स्थानीय स्तर पर ही विशेष रणनीति तैयार की जाएगी। परिवार नियोजन साधनों और पुरुष नसबंदी किट की उपलब्धता स्वास्थ्य केन्द्रों पर सुनिश्चित करायी जाएगी। इसमें दूरदराज के क्षेत्रों का खास ख्याल रखा जाएगा। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को जरूरी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए जन प्रतिनिधियों, धार्मिक गुरुओं और प्रभावशाली लोगों को भी अभियान से जोड़ा जाएगा। प्रचार-प्रसार के लिए पोस्टर, ब्रोशर के साथ ही डिजिटल सामग्री का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिये जरूरी सन्देश भी जन-जन तक पहुँचाया जाएगा। पुरुष नसबंदी से जुड़ी भ्रामक धारणाओं और भ्रान्ति को भी प्रभावी तरीके से दूर किया जाएगा। इसमें सारथी वाहन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है जो दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचकर फिल्मों या अन्य प्रचार सामग्रियों के माध्यम से भ्रांतियों को दूर करते हुए एन.एस.वी. के फायदे समुदाय को बताए जाएंगे। सेवा प्रदायगी पखवारा यानि 28 नवम्बर से चार दिसम्बर से पहले से चिन्हित और पंजीकृत योग्य दम्पति को स्वास्थ्य इकाई तक लाना और सेवा प्रदान करना सुनिश्चित किया जाएगा। ज्ञात हो कि पुरुष नसबंदी एक स्थायी गर्भनिरोधक विधि है। यह भ्रम पालना बिल्कुल निराधार है कि इससे किसी तरह की कमजोरी, नपुंसकता या यौन शक्ति में कमी आती है।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल- इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)