हाराजगंज. राजपूत और यादव बहुल महाराजगंज सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच इस बार कड़ा मुकाबला है। एनडीए में सीट शेयरिंग के बाद यह सीट भाजपा के खाते में आई और पार्टी ने यहां से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर फिर भरोसा जताया है। महागठबंधन ने कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को मैदान में उतारा है। 2014 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा का खाता खुला और मोदी लहर में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पहली बार संसद पहुंचे।
जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, भाजपा प्रत्याशी
पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के वर्तमान प्रत्याशी के पिता प्रभुनात सिंह को हरा चुके हैं। क्षेत्र में राजनीतिक पहचान। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों के साथ ही अपने द्वारा किए कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।
रणधीर सिंह, राजद उम्मीदवार
राजद ने रंधीर सिंह को महाराजगंज से चुनाव मैदान में उतारा है। राजनीति में लंबे समय से सक्रिय। पिता प्रभुनाथ सिंह की पहचान का लाभ लेने के साथ ही माय समीकरण पर भरोसा।
इमरजेंसी से पहले था कांग्रेस का गढ़, 1977 में ढह गया किला
आपातकाल से पहले महाराजगंज सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 4 बार हुए आम चुनाव में पार्टी ने तीन बार जीत दर्ज की थी। जेपी आंदोलन के बाद 1977 के संसदीय चुनाव में महाराजगंज का कांग्रेस का किला ढह गया। जनता पार्टी के उम्मीदवार रामदेव सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी को करारी मात दी। हालांकि, कांग्रेस के कृष्णकांत सिंह ने 1980 के आम चुनाव में उनसे यह सीट छीन ली।1984 में दोबारा कांग्रेसी ही संसद पहुंचे। इसके बाद इस सीट पर अब तक हुए 8 आम चुनावों में काग्रेस एक बार भी जीत नहीं दर्ज कर सकी है।