डाक्टर को बीमारी के बारे में खुलकर बताएं, सही इलाज पाएं - मुकेश शर्मा



  • विश्व रोगी सुरक्षा दिवस (17 सितम्बर) पर विशेष
  • ‘हर शिशु और हर बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल’ थीम पर मनाया जाएगा दिवस

रोगियों की बेहतर देखभाल और उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराने के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 सितम्बर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद रोगियों, चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक करना है कि एक-दूसरे की सुरक्षा के प्रति उनको किन प्रमुख बिन्दुओं का खास ख्याल रखना है। रोगी यदि चिकित्सक के पास जा रहा है तो उसके पास उन बिन्दुओं की सूची अवश्य होनी चाहिए जिससे वह पीड़ित है, जरूरी जांच की रिपोर्ट या पुरानी कोई बीमारी है तो उसके इलाज के पर्चे जरूर होने चाहिए। मरीज जब खुलकर और सच्चाई के साथ अपनी समस्या बताएगा तभी उसका सटीक और बेहतर इलाज संभव हो पाएगा।

इस साल विश्व रोगी सुरक्षा दिवस की थीम “हर शिशु और हर बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल” तय की गयी है। इसका उद्देश्य जन्म के साथ ही नवजात को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के साथ ही सुरक्षित देखभाल की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी है। हर बच्चे के जन्म के पहले हजार दिन यानि नौ माह (270 दिन) गर्भ के और जन्म के पहले दो साल (730 दिन) स्वस्थ जीवन के आधार होते हैं। इन हजार दिनों में बच्चे के खानपान, टीकाकरण और स्वच्छता आदि का पूरा ख्याल रखा जाए तो आगे चलकर शरीर बीमारियों से लड़ने में पूरी तरह सक्षम बन जाता है। आज के इस दिवस पर समुदाय स्तर पर इन जरूरी संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हर किसी की बनती है।
 
विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर इस पर भी ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है कि किस तरह एक गर्भवती की देखभाल की जाए ताकि उसके सुरक्षित प्रसव का मार्ग सुनिश्चित किया जा सके। महिला जागरूक बने और खुद तय करे कि उसे कब और कितने बच्चे चाहिए। इसके अलावा मरीजों की देखभाल करने वालों को जागरूक बनाने के साथ उनका सशक्तिकरण भी जरूरी है ताकि वह चिकित्सक के बताए अनुसार समय से दवाएं और रोगी के खानपान का ख्याल रख सकें। इसके अलावा संक्रमण से बचने के जरूरी प्रोटोकाल को अवश्य अपनाएं। चिकित्सक को मरीज और उसके देखभाल करने वाले को पहले से यह अवगत करा देना चाहिए कि दवाओं के सेवन से क्या शारीरिक बदलाव आ सकते हैं, इसलिए उससे घबराने की जरूरत नहीं है। यदि मरीज पर किसी तरह की दवा का दुष्प्रभाव नजर आता है तो चिकित्सक को तत्काल उसकी मदद को आगे आना चाहिए।

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितम्बर से गांधी जयंती (दो अक्टूबर) तक विशेष सेवा पखवाड़ा भी देश में शुरू किया जा रहा है। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग “स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार” अभियान चलाएगा। यह अभियान पूरी तरह से महिला स्वास्थ्य पर केन्द्रित होगा। इस दौरान स्वास्थ्य इकाइयों पर आयोजित होने वाले स्वास्थ्य मेलों में आने वाले बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण को भी अभियान का अहम हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य मेलों में महिलाओं और बच्चों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। स्वास्थ्य मेलों में सभी सामुदायिक चिकित्सालयों पर स्त्री रोग, नेत्र रोग ई.एन.टी., चर्म रोग, मानसिक स्वास्थ्य तथा अन्य विशेषज्ञों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के रोगों का निःशुल्क परीक्षण एवं उपचार किया जाएगा। स्वास्थ्य शिविरों पर आयुष विभाग के स्टाल के माध्यम से स्वस्थ्य रहने के लिए लोगों को स्वस्थ दिनचर्या, सही आहार, योग और व्यायाम अपनाने के बारे में प्रेरित किया जाएगा। विशेष सेवा पखवाड़ा के दौरान रक्तदान शिविरों का भी आयोजन किया जाएगा ताकि रक्त कोष में आपात स्थितियों में जरूरतमंदों के लिए पर्याप्त रक्त का भंडार सुनिश्चित किया जा सके। इन शिविरों के आयोजन में विभिन्न विभागों का सहयोग भी लिया जाएगा ताकि सेवा पखवाड़े का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके। इस दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। बारिश के बाद संक्रामक खासकर मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ने का अंदेशा रहता है इसलिए सफाई का खास ख्याल रखना जरूरी है।
 


 (लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)