- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अवध प्रांत एवं खालसा इंटर कॉलेज, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन
लखनऊ - शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अवध प्रांत एवं खालसा इंटर कॉलेज, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में “हिंदी संवर्धन एवं पर्यावरण संरक्षण” विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित हुआ। कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य ने की।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता प्रमिल द्विवेदी ने कहा कि “हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसका संवर्धन केवल विद्यालयों या संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। जब हम हिंदी में सोचते और बोलते हैं, तभी हमारी संस्कृति सशक्त होती है।” वहीं डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह, निदेशक इग्नू एवं संयोजक पर्यावरण शिक्षा ने अपने उद्बोधन में कहा कि “पर्यावरण संरक्षण केवल सामाजिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है। यदि भाषा और प्रकृति दोनों सुरक्षित रहेंगी, तभी आने वाली पीढ़ियाँ समृद्ध होंगी।”
संगीता सोनी, संयोजक भाषा मंच ने कहा कि “भाषा ही संस्कृति की वाहक है। हिंदी को अपनाना आत्मगौरव की पहचान है। युवाओं को चाहिए कि वे तकनीकी और साहित्य दोनों में हिंदी का प्रयोग बढ़ाएँ।” जसपाल सिंह, संयोजक महानगर ने कहा कि “भाषा और पर्यावरण दोनों ही जीवन के आधार हैं। इनका संरक्षण हमारे अस्तित्व की सुरक्षा है। हिंदी दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भाषा और प्रकृति दोनों के प्रति संवेदनशील बनें।”
कार्यशाला में के.बी. पंत, संयोजक लखनऊ जिला ने कहा कि “स्थानीय स्तर से ही बड़े बदलाव आते हैं। यदि हम अपने विद्यालय, महाविद्यालय और मोहल्ले से ही पर्यावरण संरक्षण और हिंदी प्रचार का बीड़ा उठाएँ, तो यह आंदोलन जन-आंदोलन बन जाएगा।”
इस अवसर पर डॉ.अंशुल सिंह, सहसंयोजक, शोध आयाम एवं नंदकिशोर शर्मा, महानगर संयोजक पर्यावरण शिक्षा ने भी अपने विचार रखें।
कार्यशाला के अंत में, महाविद्यालय के प्राचार्य ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “हिंदी और पर्यावरण दोनों ही हमारी पहचान और भविष्य हैं। इस प्रकार की कार्यशालाएँ विद्यार्थियों को जागरूक बनाने का सशक्त माध्यम हैं।” कार्यक्रम में शिक्षकों, विद्यार्थियों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।