विभागों ने बाल श्रम के कारणों व समाधान पर किया मंथन



  • पेस संस्था ने बाल श्रम उन्मूलन पर आयोजित की कार्यशाला  

फिरोजाबाद । पेस दिशा चिल्ड्रेन्स प्रोग्राम के अंतर्गत सोमवार को स्थानीय एक होटल में कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का संचालन पेस संस्था के निदेशक थॉमसन थॉमस ने किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य फिरोजाबाद में वर्ष 2030 तक बाल श्रम को शून्य करने के लिए सरकारी विभागों, समुदायों और वार्ड प्रतिनिधियों के साथ मिलकर वर्तमान स्थिति का आकलन करना और पंचवर्षीय योजना तैयार करना था।

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने समूह चर्चा के माध्यम से बाल श्रम के कारणों की पहचान की और समाधान सुझाए। शिक्षा विभाग के सुभाष चन्द्र ने गरीबी, अशिक्षा और जागरूकता की कमी को बाल श्रम के मुख्य कारण बताते हुए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। स्वास्थ्य विभाग के सौरभ यादव ने बेरोजगारी को बाल श्रम का एक बड़ा कारण बताते हुए कहा कि तकनीकी विकास के चलते रोजगार में कमी आई है। उन्होंने लोगों को नए कौशल सिखाने और बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच एवं काउंसलिंग की आवश्यकता पर जोर दिया।

नगर निगम के रामनयन (एसएमए) ने पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही अशिक्षा और बाल मजदूरी को बाल श्रम का मूल कारण बताया। उन्होंने सरकार और समुदाय को समान जिम्मेदारी निभाने और बाल श्रम का विरोध करने की अपील की। बेसिक शिक्षा विभाग की जया शर्मा ने प्रत्येक वार्ड में बाल सुरक्षा निगरानी समिति गठित करने का सुझाव दिया, जो अपने क्षेत्र में बाल श्रम उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी। पुलिस विभाग के सोबरन सिंह (एसआई) ने कहा कि बाल श्रम बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालता है और माता-पिता बच्चों के भविष्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं। मजदूर संघ के महामंत्री रामदास ने आर्थिक तंगी को बाल श्रम का मुख्य कारण बताते हुए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया।

वार्ड संख्या 15 के पार्षद प्रतिनिधि अनिल ने समुदाय स्तर पर बाल श्रम विरोधी समितियों के गठन की आवश्यकता बताई, जो वार्ड स्तर पर बाल श्रम रोकने के लिए कार्य करेंगी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य विश्वमोहन कुलश्रेष्ठ ने विभिन्न अधिनियमों में बाल श्रम की परिभाषा स्पष्ट करते हुए कहा कि शून्य से 14 वर्ष के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम कराना पूर्णतः प्रतिबंधित है तथा 15-18 वर्ष के किशोरों को जोखिम भरे कार्यों में लगाना वर्जित है। उन्होंने सभी सरकारी विभागों और समुदायों से मिलकर एक साझा रणनीति बनाने का आह्वान किया।

विवेक कुमार त्रिवेदी, श्रम परिवर्तन अधिकारी ने कहा कि बाल श्रम के मुख्य कारण परिवारों की आर्थिक निर्धनता और अशिक्षा है। उन्होंने बताया कि उनके विभाग द्वारा समय-समय पर बचाव (रेस्क्यू) अभियान चलाए जाते हैं, जिसके अंतर्गत बाल श्रमिकों को मुक्त कराकर सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। श्री त्रिवेदी ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से एक समग्र योजना बनाकर सभी संबंधित विभाग एक दिशा में समन्वित प्रयास करेंगे, और उनका विभाग इस अभियान में निरंतर सहयोग प्रदान करने के लिए सदैव तत्पर रहेगा। कार्यशाला के अंत में पेस संस्था के निदेशक थॉमसन थॉमस ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और बाल श्रम उन्मूलन हेतु एक रणनीतिक दस्तावेज तैयार कर उसे लागू करने तक पूर्ण सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि 12 जून 2025 को बाल श्रम निषेध दिवस पर रणनीति को लागू किया जाएगा। कार्यशाला में कुल 45 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।