अरंगा पार्वती पंक्षी विहार मे सर्दियो का मौसम शुरू होते ही विदेशी पंक्षियो का कलरव शुरू



  • 1084.47 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे फैला अरंगा पार्वती पंक्षी विहार,सैलानियो का आवागमन शुरू
  • मध्य एशिया व तिब्बत सहित विभिन्न देशो के 153 किस्म के हजारो पंक्षियो का बसेरा बना अरंगा पार्वती झील 

गोण्डा। जनपद मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर विकासखंड वजीरगंज के ग्राम लक्ष्मणपुर गौरिया तथा मधवापुर तिखड़िया स्थित पार्वती अरगा पक्षी विहार का सौंदर्य किसी स्वर्ग से कम नही है। नवंबर की सर्दियां शुरू होते ही अरगा झील के जल मे मध्य एशिया व तिब्बत से आने वाले विदेशी पक्षियों का कलरव शुरू हो चुका है। जिसे देखने के लिए दूर दराज के सैलानियों का आगमन शुरू हो चुका है।

पार्वती और अरगा दोनों झीलें गोखुर आकार की हैं। दोनों झीलों की निकटतम दूरी 1.5 किलोमीटर है। यह झील पौराणिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि इस झील के पास ही शिव पार्वती का प्राचीन मंदिर है। इसी कारण इस झील का नाम पार्वती अरगा पड़ा है। दोनों झीलों का कुल क्षेत्रफल 1084.47 हेक्टेयर पंक्षी विहार के अंतर्गत है। अवगत हो कि पक्षी विहार से 1 किलोमीटर दूरी पर टिकरी रेंज का आरक्षित वन क्षेत्र है। यह क्षेत्र सरयू नदी का अवशेष है। इस पक्षी विहार मे पक्षियों के साथ ही विभिन्न मछलियां व सरीसृप पाए जाते हैं। इसमें जलीय एवं अस्थलीय वनस्पतियां भी पायी जाती हैं। प्रति वर्ष इस झील मे लाखों की संख्या मे स्थानीय व प्रवासी पक्षी प्रवास करते हैं। 

पार्वती अरगा झील मे विदेशी पक्षियों का आगमन आमतौर पर अक्टूबर के माह मे शुरू हों जाता है और वह नवंबर से लेकर मार्च तक यहाँ रहते हैं। कहा जाता है कि झील कि यात्रा के लिए विदेशी पक्षियों का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से 15 मार्च तक रहता है, खास कर 15 नवंबर के बाद इनके आने की संख्या मे बढ़ोतरी हो जाती है। ये विदेशी पक्षी इस जल मे लगातार 4 महीने विचरण करके मार्च माह के अंत मे वापस चले जाते हैं।

यहाँ हजारों की संख्या मे प्रवास करते हैं 153 किस्म के विदेशी पक्षी  - यहाँ के रेंजर शुभम आनंद का कहना है कि इस झील पर मध्य एशिया, चीन, तिब्बत, सायबेरिया, आईसलैंड, आदि कई देशों से विदेशी पक्षी उड़ान भर कर आते हैं। इस वक्त विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि 153 किस्म के विदेशी पक्षी यहाँ हजारों की तादात मे हर वर्ष आते हैं जबकि पिछले वर्ष कुछ नये पक्षियों का भी यहाँ आगमन हुआ था, जिसका नाम अभी दर्ज नही है। इन पक्षियों की जांच पड़ताल चल रही है।

झील पर इन विदेशी पक्षियों का होता है कलरव - एशिया से पिंटेल, यूरेशिया से नीलसर व बेखुर, लद्दाख से बार हेडेड गूँज, एशिया से ग्रेलैग गूँज, दक्षिण पूर्वी यूरोप से  सुर्खाब, पश्चमी यूरोप से कामन शेलडक, यूरोप से कामन टील, उत्तरी अमेरिका से स्वालो, उत्तरी पश्चमी एशिया से स्विफ्ट, यूरेशिया व तिब्बत से कूट, मध्य यूरेशिया से कामन सैंड पाइपर व स्पेन डेनमार्क से एवोसेट आदि विचित्र पक्षी यहाँ आकर अरगा झील की शोभा बढाकर उसमे कलरव करते हैं। जिसे देखने के लिए दूर दराज से सैलानी यहाँ आते हैं।