लखनऊ - कहते है मरने के बाद जीवित रहना है तो ललित कला की साधना करे । मृत्यु जीवन का सब से बड़ा सच है । कलाकार का शरीर तो मरता है परंतु उसकी रची हुई रचनाओं /कलाकृतियों में वह हमेशा जीवित रहता है ।
ऐसे ही लखनऊ शैली के सादगी भरे प्रकृति प्रेमी चित्रकार थे मोo तौक़ीर जिन्होंने 1960-61 में लखनऊ कला महाविद्यालय से कला की तालीम ली और अपने दोनों पुत्रों मो0 क़मर और एस0 ए0 जाफ़र को भी लखनऊ आर्टस कॉलेज से कला की उच्च शिक्षा दिलाई ।
स्व0 मो0 तौक़ीर जिनका जन्म रायबरेली के क़स्बा नसीराबाद में सन 1938 में हुआ, रारबरेली से ही कला प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हुए रिटायर्ड हुए उसके बाद का पूरा जीवन पूर्ण रूप से कला को समर्पित करते हुए अपने दोनों कलाकार पुत्रों के साथ मिल कर आर्ट फैमली की बुनियाद रखी। आर्ट फैमली पहले राष्ट्रीय और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के एक बड़े समूह के रूप में अपनी पहचान रखती है ।
9 मई 2021 को श्री तौक़ीर के निधन के उपरांत उनको श्रद्धाजंलि के क्रम में ईराक़ के शहर कर्बला और नजफ़ तथा ईरान के शहेर मशहद एवमं भारत के अलीगढ़ में मजलिसे ( शोक सभाए ) हुई। कलाकार को कला के माध्यम से श्रद्धांजलि के क्रम में आर्ट फैमली द्वारा आगामी 25 जून से ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन होना है ।
प्रदर्शनी में 15 देशों के कलाकार जिसमे आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, तुर्की, आर्मेनियां, फ्रांस, बांग्लादेश, थाईलैंड, रूस, वेयतनाम, मस्कट आदि भारत के विभिन्न राज्यों से जिसमे मध्य्प्रदेश, पश्चिमबंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, असम, केरल, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कुल 100 कलाकरों की एकल प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी जिसमे प्रत्येक कलाकार की 12 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा ।
25 जून से 15 जुलाई तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का आयोजन आर्ट फैमली द्वारा किया जा रहा है जिसको राजिब सिकदार क्यूरेट कर रहे है ।