संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, 22 जुलाई से मॉनसून सत्र खत्म होने तक संसद का करेंगे घेराव



संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को घोषणा की कि मानसून सत्र के दौरान लगभग 200 किसानों का एक समूह हर दिन संसद के सामने केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध करेगा। आज सिंघू बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान आंदोलन के नेताओं ने आने वाले दिनों में अपने संघर्ष को तेज करने के लिए कई फैसलों की घोषणा की।

एसकेएम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 17 जुलाई से सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भी भेजा जाएगा।  आगामी संसद सत्र में विपक्षी दलों को किसान आंदोलन की सफलता के लिए काम करने की चेतावनी दी जाएगी। कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। राजेवाल ने कहा, ‘जब तक वे हमारी मांगें नहीं सुनेंगे, हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान संगठन के 5 लोगों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ले जाया जाएगा।

इसी के साथ लोगों से अपील की गयी है कि 8 जुलाई को राज्य और नेशनल हाईवेज पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक अपने अपने वाहन पार्क करें।  साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात बी ख्याल रखा जाए कि इससे ट्रैफिक जाम ना हो।  उन्होंने अपने विरोध प्रदर्शन में LPG सिलेंडर लाने की भी मांग की है। वहीं पंजाब यूनियनों द्वारा यह भी घोषणा की गई कि राज्य में बिजली की आपूर्ति के संबंध में स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के ‘मोती महल’ के घेराव के पूर्व घोषित कार्यक्रम को अभी स्थगित कर दिया गया है।