- सीफार के सहयोग से महिलाओं व किशोरियों संग परिचर्चा आयोजित
- परिचर्चा में विशेषज्ञों ने दिए सवालों के जवाब
रायबरेली - बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, धात्री व कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने में लगातार प्रयासरत है | आईसीडीएस मुख्यतः छह सेवाएं – स्कूल पूर्व शिक्षा, टीकाकरण, पूरक पोषाहार, वृद्धि निगरानी, स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा और संदर्भित सेवाएं आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से समुदाय में पहुंचा रहा है | यह बातें जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) शरद कुमार त्रिपाठी ने स्थानीय एक होटल में आयोजित “ महिलाओं एवं किशोरियों संग परिचर्चा” के दौरान कहीं | यह परिचर्चा बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित की गई थी |
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया - वर्तमान में पोषण अभियान एक जन आन्दोलन बन चुका है | आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की क्षेत्र में एक पहचान बन चुकी है, वह अपने विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं को भी मूर्त रूप देती हैं |
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी एस अस्थाना ने बताया- ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (वीएचएनडी) एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो स्वास्थ्य विभाग आईसीडीएस के साथ साझा करता है | इस मंच पर एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा गर्भवती, धात्री महिलाओं, बच्चों और किशोरियों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं | इसके साथ ही श्री अस्थाना ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी |
पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के प्रमुख डा. ज्ञानेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया- पांच वर्ष तक के वह बच्चे जो अति कुपोषण के साथ गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं उनके इलाज के लिए जिला अस्पताल में 10 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) है | केंद्र पर बच्चे को पूरक आहार व माँ या किसी एक देखभालकर्त्ता को 14 दिन तक भोजन और 50 रुपए प्रतिदिन तथा बच्चे के चार फॉलो अप के लिए 140 रुपए प्रति फॉलो अप दिये जाते हैं | यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है |
हरचंदपुर ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारी अजय कुमार ने गर्भवती के पोषण पर सही तरह से ध्यान देने की आवश्यकता के बारे में बताया | गर्भवती को कम से कम चार प्रसव पूर्व जाँचें करवानी चाहिए | गर्भावस्था के दौरान स्थानीय भोजन जो भी आसपास मौजूद है उनका ही सेवन करें | भोजन में गुड़, चना, चार रंग के खाद्य पदार्थ को शामिल करें | गर्भावस्था के दौरान आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन अवश्य करें | आयरन और कैल्शियम को एक साथ नहीं लेना चाहिए | आयरन को नींबू, पानी, संतरा, आँवला अर्थात विटामिन सी के साथ और कैल्शियम को दूध के साथ लेना चाहिए | इसके साथ ही आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए |
जगतपुर ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारी सत्यजीत सिंह ने बाल पोषण पर चर्चा करते हुए कहा- जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को मां का दूध देना चाहिए | बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए | छह माह के बाद बच्चे को ऊपरी आहार देना चाहिए | बच्चे के खाने में पर्याप्त गाढ़ापन, बारंबारता और विविधता होनी चाहिए | खाने में तेल या घी जरूर होना चाहिए | बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं |
यूनिसेफ़ की मण्डल समन्वयक अनीता ने बताया- किशोरियों में शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कुपोषण को रोकना आवश्यक होता है | किशोरी आगे चलकर माँ बनती हैं | यदि किशोरी एनीमीक है तो उसका होने वाला बच्चा भी कुपोषित होगा | इसलिए हमें इस आयु में एनीमिया को रोकना आवश्यक है | किशोरियों को आयरन की नीली गोलियां सप्ताह में एक बार स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दी जाती हैं | माहवारी के दौरान किशोरियों को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए | नियमित रूप से नहाना चाहिए, माहवारी के समय साफ सूती कपड़े का उपयोग करने चाहिए | किशोरियां दो-दो घंटे में कुछ न कुछ पौष्टिक आहार अवश्य लें |
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने सवाल किये :
बच्चे के लिए गाय का दूध बेहतर होता है या भैंस का ?
-इसके जवाब में विशेषज्ञों ने बताया कि भैंस का दूध बेहतर है क्योंकि उसमें प्रोटीन ज्यादा होता है जबकि मान्यता है कि गाय का दूध बेहतर है |
अगर माँ को दूध नहीं आ रहा हो तब क्या करें ?
-इसके जवाब ने विशेषज्ञों ने मसाज थेरेपी के बारे में बताया | साथ ही शिशु के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करें | इससे मन शांत होता है और स्तनपान की प्रक्रिया सही होती है |
इस मौके पर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अन्य अधिकारी, यूनिसेफ व सीफार के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में लाभार्थी उपस्थित थे |