जीआई टैग से स्थानीय उत्पाद को मिली नई पहचान



लखनऊ (डेस्क) - जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग, ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। ऐसा उत्पाद जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्ठा मुख्य रूप से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है। देश में सबसे पहले दार्जिलिंग के चाय को जीआई टैग मिला था ।

आज करीब 325 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। जीआई टैग का महत्व आप ऐसे भी समझ सकते हैं, बनारसी साड़ी के लिए 5 जिलों को जियोग्राफिकल जीआई रजिस्ट्री ने लीगल सर्टिफाइड किया है। पांच जिलों के अलावा बनने वाली साड़ी को बनारसी साड़ी नहीं कह सकते हैं। मशीन की साड़ी को जीआई नहीं दिया गया है।  पिछले सात वर्षों में हमारे देश से जीआई उत्पादों का काफी निर्यात हो रहा है। खास बात ये है कि वर्तमान में आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल से जीआई को जोड़ दिया गया है। इसकी वजह से सभी विभाग इस पर फोकस कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे टूरिज्म और निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है।