रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने मनाया सीओपीडी दिवस



  • जागरूकता रैली निकाली व  नि:शुल्क सीओपीडी कैम्प आयोजित
  •  धूम्रपान, वायु प्रदूषण और सर्दी से बचें सीओपीडी के रोगी :  डा. सूर्यकान्त

लखनऊ -  विश्व सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) दिवस पर बुधवार को  के.जी.एम.यू. के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग एवं यूपी चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी व आईएमए-आईएमएस के संयुक्त तत्वावधान में सी.ओ.पी.डी. शिविर व जागरूकता रैली का आयोजन लोहिया पार्क, गोमती नगर में किया गया। इस पार्क में हमेशा की तरह आज भी बड़ी संख्या में बुजुर्ग व युवा मार्निग वॉक के लिए आये हुये थे। उनमें से 132 लोगों का पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी- फेफडे़ की कार्य क्षमता की जांच का टेस्ट) किया गया। इससे यह पता चला कि उनमें से 18 लोगों में सी.ओ.पी.डी के प्रारम्भिक लक्षण पाये गये और समुचित उपचार हेतु केजीएमयू में दिखाने के लिए कहा गया। वहां पर सभी उपस्थित लोगों को सी.ओ.पी.डी से बचने व उपचार की विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी । इसके साथ ही जनमानस में सी.ओ.पी.डी की जानकारी हेतु जागरूकता रैली भी निकाली गयी। इस रैली में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डा. अजय कुमार वर्मा और रेजिडेन्ट डाक्टर्स- डा.अनिकेत कुमार रस्तोगी, डा. अमित यादव, डा. अरूण यादव उपस्थित रहे।

इस अवसर पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के रोगियों व तीमारदारों को सी.ओ.पी.डी. के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने कहा कि सी.ओ.पी.डी. की बीमारी लम्बे समय तक धूल, धुँआ व गर्दा के दुष्प्रभाव से होती है। इस बीमारी के लक्षण 30 वर्ष की उम्र के बाद प्रारम्भ होते है। सबसे पहला लक्षण सुबह -सुबह खांसी आना होता है। इसके बाद धीरे-धीरे सर्दी के मौसम में एवं फिर बाद में साल भर खांसी आती रहती है, तत्पश्चात बलगम भी आने लगता है। बीमारी बढ़ने पर रोगी की सांस भी फूलने लगती है। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि सी.ओ.पी.डी. सिर्फ फेफडे़ की ही बीमारी नही है, बल्कि बीमारी की तीव्रता बढ़ने पर हृदय, गुर्दा व अन्य अंग भी प्रभावित हो जाते है। शरीर कमजोर हो जाता है, भूख कम लगती है तथा हड्डियां भी कमजोर हो जाती है। उन्होने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों से धूम्रपान छोड़ने, वायु प्रदूषण से बचने व मास्क जरूर लगाने (जब घर से बाहर निकले) की अपील की। हमारे देश में सी.ओ.पी.डी. के प्रमुख कारण धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का), परोक्ष धूम्रपान, वाहन प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाना आदि हैं। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि सी.ओ.पी.डी. के बचाव के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए, लकड़ी के चूल्हे के बजाय गैस के चूल्हे पर खाना बनाना चाहिए। वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क, गमछा, दुपट्टा की चार परत से नाक व मुँह ढ़के, भाप लें तथा प्राणायाम करें।

ज्ञात रहें कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वाँ स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) मना रहा है। 75 वीं वर्षगॉठ में विभाग विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर विभाग के चिकित्सकगण डा. आर.एस.ए. कुशवाहा, डा. संतोष कुमार, डा. राजीव गर्ग, डा. अजय कुमार वर्मा, डा. आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डा. दर्शन कुमार बजाज, डा. ज्योति बाजपेई, डा. अंकित कुमार, सीनियर रेजिडेन्ट डाक्टर्स डा. नवीन कुमार, डा. सपना दीक्षित एवं विभाग के सभी सदस्य गण मौजूद रहे।