काशी और अयोध्या बनेंगे रोजगार के बड़े केंद्र



  • डीडी कॉन्क्लेव में मंत्री, पत्रकार और अर्थशास्त्रियों ने रखे विचार

लखनऊ - डीडी उत्तर प्रदेश की ओर से होटल ताज में शुरू हुए 'कितना बदला यूपी' विषयक दो दिवसीय डीडी कॉन्क्लेव के तीसरे सत्र में 'आत्मनिर्भर बनता उत्तर प्रदेश दावे और सच' पर चर्चा हुईकी गयी । इस सत्र में योगी सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, अर्थशास्त्री प्रोफेसर यशवीर त्यागी, प्रोफेसर मनोज अग्रवाल और वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ल शामिल हुए।

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि आज तेजी से उत्तर प्रदेश बदल रहा है। एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के जेवर में बन रहा है, हम सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे बना रहे हैं। एक्सप्रेसवे के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र का भी विकास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारी सरकार में हर क्षेत्र में काम हुआ है।

वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि सरकार ने सबको रोजगार दे दिया है, आगे नहीं देना होगा, यह चुनौती हमेशा बनी रहेगी। आगे भी युवाओं को रोजगार देने होंगे।

सत्र के दौरान  वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ला ने कहा कि आज प्रदेश में बिजली की समस्या खत्म हुई है। यहां बैठे बहुत से लोग होंगे जिन्होंने इन्वर्टर में पानी नहीं डाले होंगे। इंडस्ट्री के लिए पहली शर्त ही बिजली है। कानून व्यवस्था दूसरी बड़ी जरूरत है। इस सरकार ने पिछले पांच सालों में इन दोनों क्षेत्रों में बेहतरीन काम किया है।

इस सरकार में अलग-अलग शहरों को हवाई जहाज से जोड़ दिया गया है। इससे लखनऊ में दबाव कम हुआ है। मेडिकल कालेज बनाने का काम इस सरकार ने किया है। पहले सीएचसी और पीएचसी की स्थिति ठीक नहीं थी। अब उसमें खास सुधार हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को बच्चों की पढ़ाई की चिंता करनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था हो ताकि हमारे बच्चों को पढ़ाई के लिए बेंगलुरु न जाना पड़े। बेंगलुरु, राज्य की राजधानी ही तो है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मनोज अग्रवाल ने कहा कि अपार सम्भावनाएं हैं। लोग काशी में विश्वनाथ धाम कॉरिडोर और अयोध्या में राममंदिर निर्माण को किसी अन्य दृष्टि से देख रहे होंगे लेकिन अर्थशास्त्री के रूप में वे इसे अर्थ के रूप में ही देख रहा हैं। आने वाले समय में काशी और अयोध्या रोजगार के बहुत बड़े केंद्र होंगे। उत्तर प्रदेश अगले पांच सालों में इज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ इज ऑफ लिविंग की ओर आगे बढ़ रहा है।