उप्र में एक अनोखा प्रयास, कोई भूखा न रहे आस-पास



-24 घंटे चलता है ओम नमः शिवाय आश्रम का भंडारा
-प्रयागराज के माघ मेले में हजारों श्रद्धालुओं को रोज मिलता है भोजन
-लाकडाउन के दौरान लखनऊ समेत कई शहरों में चला अनवरत भंडारा

लखनऊ - उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ समेत कई नगरों में ओम नमः शिवाय आश्रम का अनोखा भंडारा संचालित होता है। यह भंडारा 24 घंटे अनवरत चलता है और आश्रम के स्वयंसेवकों का प्रयास रहता है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहने पाये।

कोरोना के प्रथम और द्वितीय चरण में लाकडाउन के दौरान ओम नमः शिवाय आश्रम के भंडारे से लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर और अयोध्या में प्रत्येक दिन लाखों लोगों को स्वच्छ और ताजे खाने की व्यवस्था की गई थी । इस समय प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में आश्रम के भंडारे से प्रतिदिन हजारों साधु-संतों और श्रद्धालुओं को भोजन कराया जा रहा है।

खास बात यह है कि ओम नमः शिवाय आश्रम के संस्थापक जिन्हें श्रद्धालु बड़े आदर के साथ ‘गुरुदेव’ अथवा ‘प्रभुजी’ कहते हैं, वह इस अभियान में कहीं भी अपने नाम को प्रचारित व प्रसारित करने से परहेज करते हैं। बहुत कुरेदने पर कहते हैं कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में आदि काल से अन्न दान का विशेष महत्व रहा है। देश में धार्मिक व आध्यात्मिक स्थलों पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं और भक्तों का आवागमन होता रहता है। इन श्रद्धालुओं में साधु-संत और महात्मा के अतिरिक्त तमाम गरीब भक्त भी होते हैं। इन सब को भर पेट भोजन कराने के उद्देश्य से धार्मिक स्थलों पर अन्न क्षेत्र यानि भंडारे का संचालन होता है।

उन्होंने बताया कि ओम नमः शिवाय आश्रम द्वारा तीर्थराज प्रयाग में प्रत्येक वर्ष लगने वाले माघ मेले और छह वर्ष पर अर्ध कुम्भ और 12 साल पर आयोजित होने वाले कुम्भ मेले के अवसर पर विहंगम भंडारे का आयोजन पिछले 40 वर्षों से लगातार जारी है। इस समय प्रयागराज में माघ मेला चल रहा है। मेला प्रारम्भ होने से पहले ही ओम नमः शिवाय आश्रम का भंडारा वहां संचालित होने लगा। यह भंडारा 24 घंटे अनवरत जारी रहता है और प्रतिदिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं को भरपेट भोजन कराया जाता है।

कोरोना के प्रथम और द्वितीय चरण में लाकडाउन के दौरान की चर्चा पर बताया कि उस समय पूरे लाकडाउन तक लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर और अयोध्या में प्रत्येक दिन लाखों लोगों को स्वच्छ और ताजे खाने की व्यवस्था की गई। बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर दिन रात आश्रम के स्वयंसेवक उपस्थित रहकर लोगों को भोजन कराते रहे। बाहर जाने वाले लोगों को भोजन के पैकेट और पानी की बोतल भी दिए जाते थे। छोटे बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की जाती थी। राज्य की सीमा पर फंसे प्रवासियों और राजस्थान के कोटा में फंसे विद्यार्थियों को भी रास्ते में भोजन उपलब्ध कराया जाता था।

वह बताते हैं कि ओम नमः शिवाय आश्रम के तीन जप स्थल लखनऊ, प्रयागराज और कानपुर में स्थित हैं, जहां ‘ओम नमः शिवाय’ का नियमित जाप और सेवा कार्य चलता रहता है। आश्रम के गुरुदेव का मानना है कि ‘ओम नमः शिवाय’ वह महामंत्र है जिसका सच्चे मन से उच्चारण करने से दैहिक, दैविक और भौतिक सभी कष्टों का समूल नाश होता है। इस महामंत्र के जाप से तमाम श्रद्धालुओं को शारीरिक कष्टों से मुक्ति भी मिली है। आश्रम द्वारा नशा मुक्ति समाज की स्थापना, स्वच्छता मिशन और बच्चों व महिलाओं में अच्छे संस्कार के अभियान भी चलाए जाते हैं।

एक सवाल के जवाब में आश्रम के गुरुदेव कहते हैं कि मनुष्य के लिए राष्ट्र धर्म ही सर्वोपरि है। जब राष्ट्र ही नहीं रहेगा तो धर्म का निर्वहन कैसे होगा ? सभी को मिलकर पहले राष्ट्र को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए सभी जातिबंधन, सामाजिक कुरीतियों और विकृतियों को तिलांजलि देना होगा। परिवार समाज की प्रथम इकाई है। परिवार के अंदर नकारात्मक भाव से रहित होकर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए। बच्चों द्वारा माता-पिता का सम्मान व आदर करना ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। पूज्य गुरुदेव ‘प्रभुजी’ का कहना है कि माताएं घर की लक्ष्मी हैं, वे परिवार के संस्कार की प्रथम शिक्षिका हैं। यदि वे स्वयं संस्कारित व कर्तव्यनिष्ठ होंगी तो पूरा परिवार संस्कारित होगा। घर में सुख, शांति व समृद्धि का वास होगा।