- स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी कफ कलेक्शन एप तैयार
बाराबंकी - अब टीबी की पहचान खांसी की आवाज से ही हो जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीबी कफ कलेक्शन एप तैयार किया है। इसमें रोगी या चिह्नित व्यक्ति की आवाज आठ बार रिकार्ड की जाएगी। इस प्रक्रिया को सहमति के बाद नियमित रूप से अपनाया जाएगा। इस एप की मदद से स्थानीय जनपद में 86 लोगों के चिन्हित सैंपल लिए जाने का लक्ष्य है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राम जी वर्मा ने कहना है कि कि कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सोल्यूशन टू डिट्रेक्ट टीबी के लिए जनपद से 86 लोगों की आवाज के सैंपल भेजे जाएंगे। इस सर्वे में जिन लोगों की आवाज रिकार्ड की जाएगी, उनके नाम व पते गोपनीय रखे जाएंगे। इसके अलावा जिसकी आवाज रिकार्ड होगी उसको भी रिपोर्ट की जानकारी नहीं दी जाएगी। रिपोर्ट किसी से भी साझा नहीं की जाएगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी विनोद कुमार दोहरे ने बताया कि वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग से मुक्त बनाने की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। मरीजों की संख्या में भी कमी आ रही है। इसमें और सुधार एवं गति लाने के लिए एक नया एप लांच किया गया है। इस एप के जरिए चिह्नित लोगों की आवाज स्मार्ट फोन में करीब आठ बार रिकार्ड की जाएगी। आवाज अलग-अलग तरह की होंगी। प्रथम चरण में इसका सर्वे कराया जाएगा। सर्वे में पूरे देश से करीब 21 हजार लोगों की आवाज के सैंपल लिए जाएंगे। इसके बाद इस पर अध्ययन होगा। जनपद से 86 लोगों के सैंपल रिकॉर्ड किए जाएंगे। इसमें बगैर टीबी वाले एवं टीबी के लक्षण वालों व उनके संपर्क में रहने वाले या रिश्तेदार होंगे। कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सोल्यूशन टू डिट्रेक्ट टीबी को लेकर ऑन लाइन प्रशिक्षण कराया जा चुका है।
बताया कि प्रशिक्षित अधिकारी या सुपरवाजर चिह्नित व्यक्ति के घर मास्क पहनकर जाएंगे। उसको पूरी प्रक्रिया के बारे में अवगत कराया जाएगा, सहमति ली जाएगी। इसके बाद उसे मास्क पहनकर घर के बाहर आने को कहा जाएगा। मोबाइल एप चालू करके 30 सेंकड की आवाज रिकार्ड होगी। उसे खांसने, एक से 10 तक गिनती, अ, आ आदि बोलने को कहा जाएगा और कफ का साउंड तीन बार रिकार्ड होगा। इसके अलावा अन्य प्रक्रिया व जानकारी ली जाएगी और सैंपल भेजे जाएंगे।