- उपचार को बेहतर बनाने के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा को लेकर हुई ऑनलाइन बैठक
- योजना के तहत सूचीबद्ध हैं प्रदेश के 2874 अस्पताल
लखनऊ - आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन को मजबूत करने और प्रदेश में स्वास्थ्य देखभाल तक लोगों की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुवार को मेडिकल हेल्थ एण्ड फेमिली वेलफ़ेयर के सचिव प्रांजल यादव की अध्यक्षता में ऑनलाइन मीटिंग हुई । मीटिंग में आपसी समन्वय के माध्यम से योजना के विकास में सहायक बिंदुओं पर चर्चा हुई । मीटिंग का संचालन एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल की डायरेक्टर प्रोग्राम हिमानी सेठी ने की।
सचिव प्रांजल यादव ने बताया कि यह योजना सितंबर 2018 में कमजोर वर्ग के लोगों को गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मुफ्त मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसमें देश की लगभग 40 प्रतिशत और प्रदेश की लगभग 31 प्रतिशत आबादी चिन्हित है। हमारा प्रयास है कि हम आयुष्मान लाभार्थियों तक हरसंभव स्वास्थ्य सेवा पहुंचा सकें , इसके लिए आयुष्मान के अंतर्गत हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर भी स्थापित किए जा रहे हैं। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को जो बजट मिलता है उसके अतिरिक्त उनको आयुष्मान लाभार्थी के उपचार पर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत निर्धारित पैकेज का पैसा भी मिलता है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा आयुष्मान लाभार्थियों को उपचार देकर इसके अंतर्गत मिलने वाले पैसे से स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाएं।
स्वास्थ्य विभाग, साचीज, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित इस बैठक में साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने प्रदेश में आयुष्यमान योजना की स्थिति के बारें में विस्तार से बताया | उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश में 1.85 करोड़ आयुष्मान कार्ड बन चुके है, जिसमें 55 प्रतिशत परिवारों तक पहुँच बनाई जा चुकी है । इसके अलावा 1041 सरकारी और 1833 निजी अस्पताल सहित कुल 2874 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। अभी तक दस लाख से अधिक लाभार्थियों को अस्पताल में योजना के अंतर्गत भर्ती किया गया है, इसमें 80 प्रतिशत लाभार्थी को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किए गया है। संगीता सिंह का कहना हैं कि यदि नियमित उपचार वाले केस सरकारी अस्पताल अपने स्तर पर ही उपचारित कर दें तो सरकारी अस्पतालों का प्रतिभाग भी योजना में बढ़ जाएगा। यह इसलिए भी जरूरी है कि बहुत ही कम जगह हैं जहां अच्छे प्राइवेट अस्पताल हैं, या कोई भी प्राइवेट अस्पताल नहीं है, जबकि सरकारी इकाइयां हर एक जिले में उपलब्ध हैं।
एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल के स्वपन घोष ने सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी तरीके से अमल न होने वाली चुनौतियों के बारें में चर्चा की। बैठक में मेडिकल हेल्थ के डायरेक्टर जनरल डॉ. वेदव्रत सिंह ने सुझाव दिया कि यदि पब्लिक हेल्थ डॉक्टर्स को एक लक्ष्य दे दिया जाए तो आयुष्मान लाभार्थियों के उपचार का स्तर बढ़ जाएगा। वहीं जो अस्पताल अभी तक किसी भी लाभार्थी को उपचार नहीं दे पाएं हैं, उनके पास पत्र भेजा जाए ।
महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. लिली ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में आयुष्मान की चुनौतियों को बताया, उन्होंने कहा कि आशा गर्भावस्था के समय ही लाभार्थी आयुष्मान में चिन्हित है या नहीं इसका पता लगा लें और उसके आधार पर चिन्हित इकाई का चयन भी पहले ही कर लें । महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एन सी प्रजापति ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सेवा लेने, सेवा देने और सेवाएं लागू करने में आने वाली चुनौतियों को दुबारा चिन्हित कर उस पर कार्य करने की जरूरत है।
बैठक में एनएचएम के सामुदायिक प्रक्रिया/ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के महाप्रबंधक डॉ. राजेश झा ने हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की सम्पूर्ण स्थिति के बारें में बताया, उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश में दस हजार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्थापित किए जा चुके है, जिसके अंतर्गत 12 प्रकार की सेवाएं दी जाती हैं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के साथ आयुष्मान सूचीबद्ध अस्पतालों मे रेफरल लिंकेज कैसे स्थापित किया जाए पर डिटेल में चर्चा की जानी चाहिए एवम गाइडलाइंस के मध्यम से इसे शुरू किया जाना चाहिए बहुत जरूरी है सेवा से जुड़े रहे और फील्ड फोर्स द्वारा उसका फॉलो अप हो |