- आठ किलो वजन के साथ भर्ती हुआ था बच्चा
- एचआईवी प्रोटोकॉल के तहत अन्य बच्चों के साथ हुई देखरेख
गोरखपुर - एचआईवी पीड़ित कुशीनगर जिले के चार साल के बच्चे को पोषण पुनर्वांस केंद्र (एनआरसी) ने सुपोषित जीवन दिया है । बच्चे की मां भी एचआईवी पीड़ित हैं। पिता मजदूरी करके परिवार पालते हैं । बच्चा आठ किलो वजन के साथ आठ फरवरी को एनआरसी में भर्ती कराया गया था । एचआईवी प्रोटोकॉल के साथ अन्य बच्चों के बीच ही इलाज किया गया और बच्चा 9.310 किलो वजन के साथ 25 फरवरी को डिस्चार्ज किया गया ।
बच्चे के पिता रमेश (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनका दूसरा विवाह हुआ है। बेटे और पत्नी की अक्सर तबीयत खराब रहती थी। दो साल पहले जांच में पता चला कि पत्नी को एचआईवी एड्स है। इस साल पत्नी पुनः गर्भवती थीं। आठ माह के बच्चे के साथ जब उनकी मां पत्नी को लेकर बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंची तो बड़े बेटे को कुपोषित बताते हुए एनआरसी रेफर कर दिया गया।
रमेश बताते हैं कि बच्चे के साथ एनआरसी में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ। चिकित्सकों ने इलाज किया और खाने में दूध, खीर, लड्डू और कई पौष्टिक आहार दिये गये । धीरे-धीरे उनका बच्चा पूरी तरह से ठीक हो चुका है । वह कहते हैं कि जिनका भी बच्चा कमजोर हो उन्हें डॉक्टर की सलाह से एनआरसी लाना चाहिए। एनआरसी में सारी सुविधाएं और बच्चे के साथ एक अभिभावक के खानपान की सुविधा निःशुल्क है ।
आधा दर्जन से अधिक बच्चे हुए ठीक : एनआरसी में डायटिशियन पद्मिनी शुक्ला का कहना है कि डाक्टर सुरेश नारायण एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता मेहता की देखरेख में एनआरसी की पूरी टीम बच्चों की देखरेख करती है। उनकी खुद के सेवा काल में आधा दर्जन से अधिक एचआईवीग्रस्त बच्चे एनआरसी में भर्ती होकर सुपोषित हो चुके हैं। स्टॉफ इंफेक्शन कंट्रोल के तौर-तरीकों को अपना कर बच्चों की सेवा करता है और उन्हें सामान्य बच्चों के साथ रखा जाता है । एचआईवी किसी के छूने, खांसने या छींकने से नहीं फैलता, इसलिए इसके मरीजों को आइसोलेट करने की आवश्यकता नहीं होती है ।
कोविड काल में बांट रहा पोषण : अप्रैल 2021 से लेकर फरवरी 2022 तक जिले ने कोविड के दो-दो चरणों का सामना किया है, लेकिन प्राचार्य के कुशल दिशा-निर्देशन में एनआरसी का संचालन जारी रहा । इस समयावधि में कुल 197 बच्चे एनआरसी में भर्ती कराये गये, जिनमें से 185 बच्चे स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। बाकी का इलाज चल रहा है । जिन लोगों के बच्चे अति कुपोषित हैं, वह चिकित्सक की सलाह से बच्चों को अवश्य एनआरसी में भर्ती कराएं ।