नोएडा - उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में मानवाधिकार के मामलों में कमी आई है। प्रदेश में सबसे अधिक वर्ष 2011 में मानवाधिकार के 53,919 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, वर्ष 2021 में इन मामलों की संख्या 28,506 रह गई, जो पिछले 10 वर्ष के आंकड़ों से करीब 42 प्रतिशत कम हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर को आरटीआई के तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि वर्ष 2010 में मानवाधिकार आयोग में पूरे देश में 84,312 मामले दर्ज़ किए गए थे। इसमें से सबसे ज़्यादा 49,751 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए थे। इस वर्ष दिल्ली दूसरे नंबर पर थी, जहां 5902 केस दर्ज़ किए गए थे। वर्ष 2011 में मानवाधिकार के 93,702 केस दर्ज़ हुए थे, जिसमें उत्तर प्रदेश के 53,919 और दिल्ली के 7196 मामले शामिल हैं।
इसी प्रकार 2012 में देशभर में 1,01,010 मामले दर्ज किए गए, जिसमें उत्तर प्रदेश के 45,090 और दिल्ली के 8,218 मामले हैं। वर्ष 2013 में 1,00,112 केस दर्ज़ हुए थे। इनमें 46,006 केस के साथ उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर था, जबकि 9,045 केस के साथ हरियाणा दूसरे नंबर पर था। वर्ष 2014 में देश में 1,11,069 केस दर्ज़ हुए थे, जिसमें उत्तर प्रदेश के 50,175 और हरियाणा के 14,045 केस शामिल हैं। इसी तरह वर्ष 2015 में देशभर में मानवाधिकार के मामले 1,20,607, 2016 में 96,627, वर्ष 2017 में कुल 82,006, वर्ष 2018 में 85,949, वर्ष 2019 में 76,581, वर्ष 2020 में 75,063 और वर्ष 2021 में 74,846 मामले दर्ज किए गए थे।
उत्तर प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2015 में 50,316 केस, वर्ष 2016 में 44,948, 2017 में 39,374 और वर्ष 2018 में 39,462 केस दर्ज किए गए थे। इस वर्ष के बाद से उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार के मामले कम होना शुरू हो गए। वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में 35,764 केस दर्ज किए गए। इसके बाद वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार के मामलों में कमी आई और मात्र 28,579 केस दर्ज किए गए। इसी तरह वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश में 28,506 केस दर्ज़ किए गए।