बाराबंकी - जन्मजात हृदय रोग की समस्या से पीड़ित तीन वर्षीय आयशा के जीवन में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) ने नया जीवन दिया है। नन्हीं आयसा जन्म से ही हृदय रोग से ग्रस्त थी। पिता विजय सिंह खेती किसानी का काम घर पर रहकर करते थे। इससे वह जैसे-तैसे परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर थी, ऐसे में पिता इलाज में आने वाले खर्च की बात सोचकर ही मायूस हो जाया करते।
बालिका आयशा जन्मजाता हृदय रोग से पीड़ित थी। वह जैसे-जैसे बड़ी होती जा रही थी, पिता उसी अनुपात में लाचारी का बोझ अपने ह्रदय पर महसूस कर रहे थे। पिता ने बताया कि बेटी को जन्म से ही तेज सर्दी, जुकाम, बुखार रहता था। इसी उपरान्त पहले क्षेत्र की सीएचसी व फिर जिला अस्पताल में दिखाया गया। जहां जुकाम, बुखार की दवा दी गई। लेकिन जब आराम नही मिला तो डाक्टर की ओर से लखनऊ मेडिकल कालेज के लारी विभाग इलाज के लिए भेज गया। लारी के डाक्टर ने ईको सहित कुछ अन्य जांच कराया। तब जाकर पता चला की उसको जन्म से दिल में छेद है। इस मौके पर बेटी की हालत देखकर मां-बाप काफी मायूस थे। इस उपरान्त स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में जानकारी हुई ।
इसी बीच राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम से सम्पर्क किया। मौके पर टीम की ओर से घर पर स्वास्थ्य परिक्षण कर बालिका आयशा की समस्या के बारे में जानकारी की गई। टीम ने तुरंत उसका रैफर कार्ड बनाया। तथा इस कार्यक्रम के तहत बच्चे के माता व पिता को नि:शुल्क सरकारी योजना के बारे में जानकारी देकर परेशान न होने की बात कहकर आस्वस्थ किया गया। बालिका की सर्जरी के लिए अलीगढ़ मेडिकल कालेज रैफर कर दिया गया। सभी प्रक्रिया पूरी कर बलिका का नि:शुल्क आपरेशन हुआ। अपरेशन सफल होने की बात सुनकर बेटी के माता- पिता सहित सभी परिवारजनो के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
ये सुनकर ही उनके भीतर की तमाम हताशा पल भर में आशा के नवीन उजास में तब्दील हो गई, उन्हें लगा जैसे ह्रदय से वर्षों पुराना बोझ उतर गया हो। गत 8 फरवरी को बालक आयशा को अस्पताल में भर्ती कर ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन सफल रहा और बालिका आयशा को जन्मजात तकलीफ से निजात मिली। पिता विजय सिंह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को खूब दुआएं दे रहे हैं, जिसकी बदौलत उनका पुत्री अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
एसीएमओ एवं नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव ने बताया चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों का उपचार किया जाता है। आरबीएसके की मोबाइल हैल्थ टीम विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों और शिक्षण संस्थानों पर जाकर लगभग 38 बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के उपचार में मदद करती है। बताया कि आरबीएसके के तहत पीड़ित बालिका की सर्जरी में करीब 7 लाख का खर्चा हुआ है।
डीआईसी मैनेजर अवधेश कुमार सिंह ने बताया मोबाईल हैल्थ टीम बच्चों की जांच कर उस अनुरूप की जाने वाली चिकित्सा हेतु बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कोलेज रेफर करती है। वहां इन बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाता है। बच्चों में जन्मजात हृदय रोग के अलावा कार्यक्रम में कटे होंठ व तालू, मुड़े हुए पैर, कान बहने और मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। इसके अलावा कमजोर नेत्र दृष्टि वाले बच्चों के चश्मे भी बनाए जाते हैं