नेगलेक्टेड ट्रापिकल डिजीज कालाजार व फाइलेरिया के प्रति जागरूकता ज़रूरी - प्राचार्य



  • पाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से हुई संवेदीकरण कार्यशाला
  • चिकित्सक व जनता का इन बीमारियों के प्रति संवेदनशील होना जरूरी  

कानपुर  - जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सौजन्य से फाइलेरिया,कालाजार जैसे संक्रामक रोगों से रोकथाम एवं बचाव के लिए कार्यशाला आयोजित हुई। शुभारंभ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला सहित मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ नैपाल सिंह ने किया । पाथ संस्था व विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में मेडिकल छात्रों को संक्रामक रोगों के लक्षणों व बचाव के बारे में जानकारी दी गई। कम्युनिटी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष डॉ सीमा निगम ने इस कार्यशाला के आयोजन एवं कम्युनिटी स्तर पर लोगों के नियंत्रण एवं बचाव के संबंध में प्रकाश डाला।

 प्राचार्य डॉ काला ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया कि चिकित्सा विज्ञान में इस प्रकार की कार्यशाला ओं का आयोजन समय-समय पर होता रहना चाहिए।इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों को समझने व उनके सही उपचार की जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया व कालाजार जैसी उपेक्षित बीमारियों (नेगलेक्टेड ट्रापिकल डिजीज) को खत्म करने के लिये विभाग के अलावा समुदाय को भी जागरूक होने की आवश्यकता है ।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ नैपाल सिंह ने कहा कि डाक्टरों को भी जागरूकता दिखानी होगी । लक्षण दिखते ही मरीज का पैथालाजी टेस्ट कराया जाए तो बहुत से मरीजों की जल्द पहचान हो सकती है । लिंफेटिक फाइलेरायसिस एवं विसरल लिष्मणायसिस पर प्रमुख वक्ता डॉ सैफ़ अनीस कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा व्याधि के एपिडेमियोलॉजी ,डॉक्टर विकास मिश्रा माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बीमारी के कारकों उनका जीवन चक्र, जांच के संबंध में एवं डॉ एसके गौतम मेडिसिन विभाग द्वारा रोगों के लक्षण एवं उपचार के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की ।

पाथ संस्था के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा.सोहेब अनवर ने बताया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है, जो कि बालू मक्खी के काटने से फैलता है। यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में नमीं वाले स्थानों और मकानों के दरारों में पाई जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है।यदि किसी व्यक्ति में उपर्युक्त लक्षण मिले तो तत्काल अपने नजदीक के सीएचसी व पीएचसी केंद्र पर जांच कराएं।जिला चिकित्सालय पर इसका इलाज नि:शुल्क किया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ नित्यानन्द ठाकुर ने बताया कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है जो रुक-रुक कर चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है, भूख कम लगती है और शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।

क्या कहते हैं आँकड़े :  ग्लोबल बर्डन आफ डिज़ीज़ स्टडी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से 11 भारत में बहुतायत में पाई जाती हैं यानि  इन 11 बीमारियों के सबसे ज्यादा और सबसे बिगड़े केस अपने देश में हैं । रिपोर्ट बताती है कि भारत में लिम्फैटिक फाइलेरिया के 87 लाख केस हैं जो दुनिया का 29 प्रतिशत है। इसी तरह कालाजार के देश में 13530 केस हैं जो दुनिया का 45 प्रतिशत है।

कार्यशाला में उप प्रधानाचार्या डॉ रिचा गिरी, डॉ मानस शर्मा (पाथ), संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ एपी मिश्रा , जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों मौजूद रहेशामिल रहे।विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, रेजिडेंट एवं छात्रों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया।