फाइलेरिया की गंभीरता बताएगा क्लस्टर समूह



•    स्वयं सहायता समूह ने पहली बार बनाया फाइलेरिया का क्लस्टर समूह
•    संयुक्त निदेशक डॉ वीपी सिंह और सीएमओ डॉ नेपाल सिंह ने किया संबोधित  
•    पुस्तक का हुआ विमोचन और सदस्यों को फाइलेरिया किट भी वितरित
•    सीफार के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित, अन्य संस्था के प्रतिनिधि भी रहे मौजूद  

लखनऊ - फाइलेरिया बीमारी को समझ चुका और प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) अब क्लस्टर समूह के रूप में इस बीमारी के प्रति जागरूक करेगा। साथ ही इस बीमारी के प्रबंधन के गुर सिखाएगा। क्लस्टर समूह के सदस्यों की यह पहल अभूतपूर्व कदम है। यह कहना है डॉ वीपी सिंह, संयुक्त निदेशक का। डॉ सिंह सोमवार को कानपुर में शुरू हुए फाइलेरिया रोगी क्लस्टर फोरम के शुभारंभ कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग आयोजित कार्यक्रम में डॉ वीपी सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी से जान तो नहीं जाती है लेकिन संक्रमित व्यक्ति का जीवन प्रभावित कर देती है। फाइलेरिया की दवा हर किसी को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खानी है। डॉ सिंह कहा कि इसका असर दिखाने के लिए आमजन को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रति सहयोग की भावना रखनी होगी।

क्लस्टर समूह को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ नेपाल सिंह ने कहा कि हम सब यह जानते हैं कि हमारे आसपास फैली गंदगी से बीमारी से होती है। लेकिन सवाल यह कि क्या इस गंदगी को हटाने या खत्म करने के लिए हमने कोई पहल की। इसी तरह फाइलेरिया यानि हाथीपांव बीमारी के बारे में जानते तो हैं लेकिन क्या इसको रोकने के लिए हमने कोई पहल की। सीएमओ ने क्लस्टर समूह के सदस्यों से अपील की वह खुद को फाइलेरिया का शिक्षक मानें। जो मिले, जहां मिले इसकी घातकता को अपने शब्दों में समझाएं।

इस मौके पर फाइलेरिया बीमारी की बरीकियों पर तैयार हुई प्रशिक्षण पुस्तक का विमोचन भी किया गया। साथ ही जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह के निर्देशन में आयोजन में उपस्थित सदस्यों को फाइलेरिया किट भी वितरित की गई।    

स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी की अपील : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ नित्यानंद ने फाइलेरिया की अन्य बीमारियों से तुलना की और इसकी घातकता के बारे में बताया। वहीं पाथ संस्था के डॉ मानस ने बताया कि किन-किन लोगों को यह दवा नहीं खानी है और सरकारी योजना की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। पीसीआई के ध्रुव ने बताया कि लोगों में तरह-तरह की भ्रांति है कि हाइड्रोसील ज्यादा साइकल चलाने से हो जाता है। असल में व्यक्ति फाइलेरिया ग्रस्त होता है। उन्होंने कहा कि अगर समय से दवा खा लिए होते तो आज यह समस्या नहीं होती। वहीं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस) के फ़ीरोज ने क्लस्टर समूह को सेना की बटालियन बताते हुए अपील की है कि आप लोग इस बीमारी को रोकने के लिए सैनिक जैसी भूमिका अदा कर सकते हैं। मन बनाइये और हर दिन कम से कम 5 लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरुक करिए। सीफार संस्था प्रमुख अखिला शिवदास ने क्लस्टर समूह के सदस्यों से अपील की आपकी बात पर लोग विश्वास करेंगे। आप लोग अपने-अपने अनुभव को अधिकाधिक लोगों के बीच साझा करें। कार्यक्रम का मंच संचालन सीफार की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने किया। 

स्वयं सहायता समूह बने गवाह : आयोजन के दौरान स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें राधा मोहन, पांच मंदिर, संकटमोचन, गौरी शंकर और सागर माता समूह प्रमुख हैं। समूह के सदस्यों ने आप बीती साझा की। इस मौके पर राम सनेही बताया कि जब मुझको फाइलेरिया हुआ तो लगा अब जिंदगी खत्म हो गई लेकिन आप सबके आशीर्वाद से मैं आप सभी सामने बोलने की स्थिति में हूं। हां, इस बात का अब भी पश्चाताप है कि अगर पहले ही दवा खा लिया होता तो शायद यह बीमारी भी नहीं होती। अब मैं आप सबके सामने प्रण कर रहा हूं कि अधिक से अधिक लोगों को इस बारे में जागरूक करूंगा।