नई दिल्ली(एजेंसी) - उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने में शैक्षणिक संस्थानों के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से इस संबंध में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया है। नायडू ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को एक दूरदर्शी दस्तावेज बताते हुए कहा कि इसे पूरी तरह लागू करने से हमें एसडीजी एजेंडा हासिल करने में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति नायडू ने बुधवार को मैसूर विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (एआईयू) और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी की 96वीं वार्षिक बैठक का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए कहा कि वह दुनिया के शीर्ष 10 विश्वविद्यालयों में भारतीय विश्वविद्यालयों को देखना चाहते हैं।
उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करते हुए अनुसंधान, ज्ञान-सृजन सहित अकादमिक उत्कृष्टता के उच्च मानक स्थापित करने और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
17 एसडीजी वाले सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा-2030 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत 2021 एसडीजी इंडेक्स में 120वें स्थान पर था। विभिन्न एसडीजी हासिल करने में गरीबी और निरक्षरता जैसी चुनौतियों से पार पाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने नागरिक समाज और शैक्षणिक संस्थानों सहित सभी हित धारकों से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया।
भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र लगभग 1050 विश्वविद्यालयों, 10,000 से अधिक पेशेवर तकनीकी संस्थानों और 42,343 कॉलेजों के साथ दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। ऐसे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि वे सभी लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करते हैं, तो यह समग्र विश्व परिदृश्य पर एक बड़ा प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि हमें इस तथ्य को याद रखना चाहिए कि ग्रह को बचाना सभी देशों का सामूहिक प्रयास होगा। हम इस संदर्भ में 'वसुधैव कुटुम्बकम' की प्रासंगिकता को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
उन्होंने निजी क्षेत्र सहित सभी भारतीय विश्वविद्यालयों से अकादमिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और भारत को फिर से 'विश्व-गुरु' बनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, एआईयू के अध्यक्ष कर्नल डॉ जी थिरुवासगम, मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जी हेमंथा कुमार, एआईयू महासचिव डॉ पंकज मित्तल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।